गणतंत्र दिवस पर देश के बारे में क्या सोचते हैं आज के युवा
Republic Day 2023: 26 जनवरी 2023 को भारत अपना 74वां गणतंत्र दिवस मनाएगा। पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव के चलते इन 74 वर्षों में भारत के युवाओं की भाषा, भूषा और भोजन सभी कुछ बदल गया है। आज के अधिकतर युवा नशे की गिरफ्त में हैं। अनुशासन तो छोड़ ही दिया है। हालांकि बहुत से युवा अपने करियर को लेकर भी चिंतित रहते हैं। आओ जानते हैं कि आज के युवा इस बारे में क्या सोचते हैं।
देश में नशे को रोकने के लिए प्रॉपर प्लान की कमी है। यहां तक की जिन राज्यों में शराब बंदी है वहां भी शराब मिलने की खबरें आए दिन देखने को मिलती रहती हैं। सरकार को नशे के विषय में गंभीरता बरतनी चाहिए। सिगरेट, अल्कोहल अगर बीमारियों का कारण बन सकती है तो उसके पैकेट पर चेतावनी देने की बजाय उन्हें पूर्ण रूप से बंद कर देना चाहिए क्योंकि सिगरेट में शरीर के न्यूट्रिशन के लिए आवश्यक तत्व तो नहीं है। सरकारी स्तर के साथ सामाजिक स्तर पर जनजागरण अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है।- सुदर्शन पाटीदार
आज के समय में भारतीय युवाओं में अनुशासन की बहुत कमी देखने को मिल रही है। चाहे वह पढ़ाई को लेकर हो या उनके व्यवहार को लेकर। इसका बहुत बड़ा कारण डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया है। क्योंकि आजकल के युवा सोशल मीडिया की तरफ काफी आकर्षित हो रहे हैं जिसकी वजह से उनमें पढ़ने की रूचि कम होती हुई देखने को मिल रही है। इसके लिए युवाओं को जागरूक करने के साथ-साथ अनुशासन की भी अधिक जरूरत है।- सचिन गौर
हमारे देश की एक चीज मुझे बहुत खूबसूरत लगती है, और वो है हमारे देश का कल्चर और यहीं बात भारत को अनोखा बनाती हैं। हम भारत के किसी भी कोने में चले जाएं तब भी हमें घर जैसा ही महसूस होता है, भारत में लोग दिल से जुड़ते हैं चाहे उनकी स्थिति कैसी भी हो वो भारत की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।- दीक्षा मौर्य
देश में महिलाओं पर बढ़ते हुए अत्याचार और अपराध ना केवल महिलाओं का अपमान है बल्कि सम्पूर्ण मानव जाती का अपमान हैं। भारत जैसे देश ने हमारे समाज को कई वीरांगनाएं दी हैं, उनका अपमान है। इस बढ़ते हुए अत्याचार और अपराध को रोकना बहुत आवश्यक है। अपराधी को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए जिसकी वजह से कोई भी अपराध करने से पहले कई बार सोचने पर मजबूर हो जाए। -पुलकित मुंशी
वर्तमान में आए दिन हमें महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों के बारे में पढ़ने-सुनने को मिलता रहता है। हाल ही में हुए श्रद्धा वॉकर हत्याकांड ने पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया था कि किसी की इतनी विकृत मानसिकता कैसे हो सकती है, जो उसी की हत्या करे जिसे अपनी प्रेमिका कहता हो। ये अपने आप में ही बड़ा प्रश्न हैं। श्रद्धा के 35 टुकड़े कहीं न कहीं हमारे देश की कानून व्यवस्था के टुकड़े हैं, जिसका खौफ अपराधियों में उतना नहीं है। इंदौर की बात करें तो आए दिन यहां लव जिहाद, छेड़छाड़, दहेज प्रताड़ना जैसे मामले सामने आते हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार हर घंटे लगभग 86 महिलाएं दुष्कर्म का शिकार होती हैं। एक साल में इस तरह से लगभग 31 हजार से अधिक महिलाओं का रेप होता है। ऐसे में अपराधों को कम करने के लिए हमें एक जागरूक समाज के साथ मजबूत कानून व्यवस्था का निर्माण करना होगा, जहां फरियादी शिकायत करने इस उम्मीद से जाए कि उसे न्याय अवश्य मिलेगा। -आदर्श ठाकुर
आज के समय में हम देख रहे हैं कि बच्चे अपने करियर को लेकर काफी परेशान रहते हैं। सबसे पहले तो बच्चों को उसी फील्ड में जाना चाहिए, जिसमें उनकी रुचि हो और आप जिस फील्ड में मन लगाकर काम कर सकते हैं, आप वहीं सफलता प्राप्त कर पाएंगे। आजकल एंटरटेनमेंट का जमाना है। डिजिटल मीडिया के इस युग में एंटरटेनमेंट से जुड़ा क्षेत्र करियर के लिए एक अच्छा ऑप्शन है। मीडिया और एंटरटेनमेंट की मांग दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है। इस फील्ड में आपको अच्छे पैकेजेस भी हैं और स्कोप भी। -एकता शर्मा