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हनुमान जी का पूजन करने पर शनि नहीं करते हैं परेशान, क्या है वजह, पढ़ें दिलचस्प कथा

हनुमान जी का पूजन करने पर शनि नहीं करते हैं परेशान, क्या है वजह, पढ़ें दिलचस्प कथा - shani hanuman katha
आनंद रामायण में शनिदेव के घमंड के बारे में एक प्रसंग आता है। बहुत समय पहले शनिदेव ने लंबे समय तक भगवान शिव की तपस्या की। भगवान शिव ने शनिदेव की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें वर मांगने को कहा।
 
शनिदेव बोले हे भोलेनाथ इस सृष्टि में कर्म के आधार पर दंड देने की व्यवस्था नहीं है। इसके कारण मनुष्य ही नहीं, बल्कि देवता तक भी अपनी मनमानी करते हैं। अतः मुझे ऐसी शक्ति प्रदान करें ताकि में उद्दंड लोगों को दंड दे सकूं।
 
शनिदेव के इस वर को शिवजी ने मान लिया और उन्हें दंडाधिकारी नियुक्त कर दिया। वरदान पाकर शनिदेव घूम-घूम कर ईमानदारी से कर्म के आधार पर लोगों को दंडित करने लगे। वह अच्छे कर्म पर अच्छा और बुरे कर्मों पर बुरे कर्म पर बुरा परिणाम देते।
 
इस तरह समय बीतता गया। शनिदेव के इस कार्य से देवता, असुर और मनुष्य कोई भी अछूता नहीं रह सका। कुछ समय बाद शनि को अपनी इस शक्ति पर अहंकार हो गया। वह स्वयं को शक्तिशाली समझने लगे।
 
एक समय की बात है। रावण ने जब सीता का हरण कर लिया तो वानर सेना की सहायता से जब श्रीराम ने सागर पर बांध बना लिया, तब उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी उन्होंने हनुमानजी को सौंपी।
 
हमेशा की तरह शनिदेव जब भ्रमण के लिए निकले, तो सागर पर बने सेतु पर उनकी नजर पड़ी जहां हनुमानजी ध्यानमग्न थे। यह देख शनिदेव क्रोधित हो गए और हनुमानजी का ध्यान भंग करने की कोशिश करने लगे। हनुमानजी को कोई प्रभाव नहीं पड़ा। शनिदेव का क्रोध सातवें आसमान पर पहुंच गया।
 
आखिर में शनिदेव ने उन्हें चुनौती दे दी। तब हनुमानजी ने विनम्रता से कहा शनिदेव में अभी अपने आराध्य श्रीराम का ध्यान कर रहा हूं। कृपया मेरी शांति भंग नहीं करें। लेकिन शनि अपनी चुनौती पर कायम रहे। तब हनुमानजी ने शनिदेव को अपनी पूंछ में लपेटकर पत्थर पर पटकना शुरू कर दिया। शनि लहूलुहान हो गए।
 
तब शनिदेव को अपनी भूल का अहसास हुआ कि उन्होंने हनुमानजी को को चुनौती देकर बहुत बड़ी गलती की। वह अपनी गलती के लिए मांफी मांगने लगे, तब हनुमानजी ने उन्हें छोड़ दिया।
 
शनि के अंग-अंग भयंकर पीड़ा हो रही थी। यह देखकर हनुमानजी को उन पर दया आ गई और उन्होंने शनिदेव को तेल देते हुए कहा कि इस तेल को लगाने से तुम्हारी पीड़ा दूर हो जाएगी, लेकिन इस तरह की गलती दोबारा मत करना।
 
कहते हैं उसी दिन से शनिदेव को तेल अर्पित किया जाता है।

 
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