श्री तुळजा भवानी मंदिर
तुलजापुर : शिवाजी की कुलदेवी का स्थान
तुलजापुर महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में स्थित है। यह एक ऐसा स्थान है, जहां छत्रपति शिवाजी की कुलदेवी श्री तुळजा भवानी स्थापित हैं, जो आज भी महाराष्ट्र समेत अनेक राज्यों के निवासियों की कुलदेवी के रूप में पहचानी जाती है। तुळजा भवानी मंदिर में प्रवेश करते ही दो विशालकाय महाद्वार नजर आते हैं। इस मंदिर का स्थापत्य मूल रूप से हेमदपंथी शैली से प्रभावित है। यहां सबसे पहले कलोल तीर्थ है, जिसमें 108 तीर्थों के पवित्र जल का सम्मिश्रण है। इसमें उतरने के पश्चात थोड़ी ही दूरी पर गोमुख तीर्थ है, जहां जल तीव्र प्रवाह के साथ बहता रहता है। इसके पश्चात सिद्धि विनायक भगवान का मंदिर दिखाई देता है। इसके बाद एक सुसज्जित द्वार में प्रवेश करने के पश्चात गर्भ गृह यानी मुख्य कक्ष में माता की स्वयंभू प्रतिमा स्थापित है। गर्भगृह के पास ही एक चांदी का पलंग दिखाई देता है, जो माता की निद्रा के लिए बनाया गया है।
इस पलंग के उलटी तरफ शिवलिंग स्थापित है, जिसे दूर से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि मां भवानी व शिवशंकर आमने-सामने बैठे हैं। इस मंदिर के शिवलिंग की ओर स्थापित चांदी के छल्ले वाले स्तंभों के विषय में माना जाता है कि यदि आपके शरीर के किसी भी भाग में दर्द है, तो सात दिन लगातार इस छल्ले को छूने से वह दर्द समाप्त हो जाता है। एक जनश्रुति यह भी है कि यहां एक ऐसा चमत्कारिक पत्थर 'चिंतामणि' विद्यमान है। इसके बारे में माना जाता है कि छत्रपति शिवाजी किसी भी युद्ध से पहले 'चिंतामणि' नामक इस पत्थर के पास अपने प्रश्नों के समाधान के लिए आते थे। जिसके विषय में यह माना जाता है कि यह आपके सभी प्रश्नों का उत्तर सांकेतिक रूप में ‘हां’ या ‘नहीं’ में देता है। यदि आपके प्रश्न का उत्तर ‘हां’ है तो यह अपने आप दाहिनी ओर मुड़ जाता है और अगर ‘नहीं’ है तो यह बाईं दिशा में मुड़ जाता है।प्रस्तुति - राजश्री कासलीवाल