शुक्रवार, 14 मार्च 2025
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. आलेख
  4. mahashivratri vrat
Written By
Last Updated : बुधवार, 11 फ़रवरी 2015 (17:24 IST)

मोक्ष का फल देता है शिवरात्रि का व्रत...

मोक्ष का फल देता है शिवरात्रि का व्रत... - mahashivratri vrat
शिवरात्रि व्रत धर्म का उत्तम साधन 
 

 
शिवरात्रि का व्रत सबसे अधिक बलवान है। भोग और मोक्ष का फलदाता शिवरात्रि का व्रत है। इस व्रत को छोड़कर दूसरा मनुष्यों के लिए हितकारक व्रत नहीं है। यह व्रत सबके लिए धर्म का उत्तम साधन है। निष्काम अथवा सकाम भाव रखने वाले सांसारिक सभी मनुष्य, वर्णों, आश्रमों, स्त्रियों, पुरुषों, बालक-बालिकाओं तथा देवता आदि सभी देहधारियों के लिए शिवरात्रि का यह श्रेष्ठ व्रत हितकारक है।
 
शिवरात्रि के दिन प्रातः उठकर स्नानादि कर शिव मंदिर जाकर शिवलिंग का विधिवत पूजन कर नमन करें। रात्रि जागरण महाशिवरात्रि व्रत में विशेष फलदायी है।
 
गीता में इसे स्पष्ट किया गया है-
 
या निशा सर्वभूतानां तस्या जागर्ति संयमी।
यस्यां जागृति भूतानि सा निशा पश्चतो सुनेः॥
 
- तात्पर्य यह कि विषयासक्त सांसारिक लोगों की जो रात्रि है, उसमें संयमी लोग ही जागृत अवस्था में रहते हैं और जहां शिव पूजा का अर्थ पुष्प, चंदन एवं बिल्वपत्र, धतूरा, भांग आदि अर्पित कर भगवान शिव का जप व ध्यान करना और चित्त वृत्ति का निरोध कर जीवात्मा का परमात्मा शिव के साथ एकाकार होना ही वास्तविक पूजा है। 


 
शिवरात्रि में चार प्रहरों में चार बार अलग-अलग विधि से पूजा का प्रावधान है। महाशिवरात्रि के प्रथम प्रहर में भगवान शिव की ईशान मूर्ति को दुग्ध द्वारा स्नान कराएं, दूसरे प्रहर में उनकी अघोर मूर्ति को दही से स्नान करवाएं और तीसरे प्रहर में घी से स्नान कराएं व चौथे प्रहर में उनकी सद्योजात मूर्ति को मधु द्वारा स्नान करवाएं। इससे भगवान आशुतोष अतिप्रसन्न होते हैं। 
 
प्रातःकाल विसर्जन और व्रत की महिमा का श्रवण कर अमावस्या को निम्न प्रार्थना कर पारण करें -
 
संसार क्लेश दग्धस्य व्रतेनानेन शंकर।
प्रसीद समुखोनाथ, ज्ञान दृष्टि प्रदोभव॥
 
- तात्पर्य यह कि भगवान शंकर! मैं हर रोज संसार की यातना से, दुखों से दग्ध हो रहा हूं। इस व्रत से आप मुझ पर प्रसन्न हों और प्रभु संतुष्ट होकर मुझे ज्ञानदृष्टि प्रदान करें।
 
'ॐ नमः शिवाय' कहिए और देवादिदेव प्रसन्न होकर सब मनोरथ पूर्ण करेंगे। शिवरात्रि के दिन शिव को ताम्रफल (बादाम), कमल पुष्प, अफीम बीज और धतूरे का पुष्प चढ़ाना चाहिए एवं अभिषेक कर बिल्व पत्र चढ़ाना चाहिए।

ऐसी और खबरें तुरंत पाने के लिए वेबदुनिया को फेसबुक https://www.facebook.com/webduniahindi पर लाइक और 
ट्विटर https://twitter.com/WebduniaHindi पर फॉलो करें।