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कबीर जयंती कब है, जानिए संत कबीर के जीवन दर्शन पर रचे 20 दोहे

कबीर जयंती कब है, जानिए संत कबीर के जीवन दर्शन पर रचे 20 दोहे - Kabir das ke dohe
kabir das 
 
 
 
भारतीय कवि और संत कबीर दास जी 15वीं सदी के संत थे। वर्ष 2023 में संत कबीर दास की जयंती रविवार, 04 जून को मनाई जाएगी। उनके दोहे आज भी सभी के लिए पथ प्रदर्शक के रूप में प्रासंगिक है। 
 
यहां पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं कबीर के प्रसिद्ध व लोकप्रिय 20 दोहे- 
 
1. माला फेरत जुग गया, गया न मन का फेर।
कर का मन का डा‍रि दे, मन का मनका फेर॥
 
2. कबीर संगत साधु की, नित प्रति कीजै जाय 
दुरमति दूर बहावासी, देशी सुमति बताय
 
3. तिनका कबहुं ना निंदए, जो पांव तले होए।
कबहुं उड़ अंखियन पड़े, पीर घनेरी होए॥
 
4. कबीर विषधर बहु मिले, मणिधर मिला न कोय।
विषधर को मणिधर मिले, विष तजि अमृत होय।।
 
5. माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय॥
 
6. कबीर संगति साधु की, निष्फल कभी न होय।
ऐसी चंदन वासना, नीम न कहसी कोय ।।
 
7. गुरु गोविंद दोऊं खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु आपकी, गोविंद दियो बताय॥
 
8. साईं इतना दीजिए, जा मे कुटुम समाय।
मैं भी भूखा न रहूं, साधु ना भूखा जाय॥
 
9. एक घड़ी आधी घड़ी, आधी में पुनि आध।
कबीर संगत साधु की, कटै कोटि अपराध।।
 
10. सज्जन सो सज्जन मिले, होवे दो दो बात।
गदहा सो गदहा मिले, खावे दो दो लात।।
11. धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय॥
 
12. कबीरा ते नर अंध है, गुरु को कहते और।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर॥
 
13. माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर।
आशा तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर॥
 
14. कोयला भी हो उजला, जरि बरि हो जो सेत।
मूरख होय न अजला, ज्यों कालम का खेत।।
 
15. साखी शब्द बहु तक सुना, मिटा न मन का मोह।
पारस तक पहुंचा नहीं, रहा लोह का लोह।।
 
16. बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर॥
 
17. दुःख में सुमिरन सब करें सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे तो दुःख काहे होय॥
 
18. सात समंदर की मसि करौं लेखनि सब बनाई।
धरती सब कागद करौं हरि गुण लिखा न जाई॥
 
19. उठा बगुला प्रेम का तिनका चढ़ा अकास।
तिनका तिनके से मिला तिन का तिन के पास॥
 
20. रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय।
हीरा जनम अमोल है, कोड़ी बदली जाय॥

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