चाणक्य नीति : आपके दु:ख से इन 8 लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता
Chanakya niti: दुनियाभर में चाणक्य नीति प्रसिद्ध है। आचार्य चाणक्य ने धर्म, अर्थ, राजनीति, नीति और युद्ध नीति पर बहुत सी बातों को जिक्र किया है जिसमें से अधिकतर आज भी प्रासंगिक है। चाणक्य नीति ने अनुसार 8 तरह के लोग हैं जिन्हें आपके सुख और दु:ख से कोई मतलब नहीं, भले ही आपका नुकसान हो जाए। आओ जानते हैं कि कौन हैं वे 8 लोग।
8 तरह के लोगों से अपने जीवन का दु:खड़ा रोने का कोई मतलब नहीं:-
राजा वेश्या यमो ह्यग्निस्तकरो बालयाचको।
पर दु:खं न जानन्ति अष्टमो ग्रामकंटका:।।- चाणक्य नीति।।(19)।।
अर्थात : राजा, वेश्या, यमराज, अग्नि, चोर, बालक, याचक, और आठों गांव का कांटा, ये दूसरे के दु:ख को नहीं जानते हैं।
भावार्थ : चाणक्य के अनुसार उपरोक्त आठ को किसी के दु:ख या सुख से कोई सरोकार नहीं होता। अग्नि जड़ पदार्थ है, जो किसी के दुख-सुख को नहीं जानती। राजा को लोगों के दु:ख से कोई मतलब नहीं उसे तो जनता को पीड़ित करके भी अपना कोष भरना होता है। वेश्या को भी धन से मतलब है किसी के दु:ख से नहीं। चोर को चोरी से और भिक्षु या याचक को अपने स्वार्थ से मतलब होता है।
यमराज भी प्राणियों को दूसरी योनी में भेज देता है भले ही उसे या उसके परिवार को कितनी भी पड़ा हो रही है। बालक को भी उसके हठ से ही मतलब है वह नहीं सोचता कि उसके हठ से किसी को दु:ख झेलना पड़ रहा है। भले ही नुकसान हो जाए उसे तो अपना हठ पूरा करना है। इसी तरह ग्राम कंटक का तो निर्वाह ही ग्रामवासियों को पीड़ा देकर होता है। वह इस बात का आभास नहीं करता कि अपने स्वार्थ के लिए वह लोगों को कष्ट दे रहा है।