शांति और संतोष
प्राप्ति के लिए...
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प्रवीण भावसार आधुनिक संसार में मनुष्य को सुविधा के साथ-साथ तकलीफों का भी सामना करना पड़ता है। भागमभाग की जिंदगी में टेंशन के माहौल में मन की शांति, संतुलन एवं संतोष प्राप्त करने हेतु प्रत्येक व्यक्ति कोशिश कर रहा है, परंतु यह आसानी से मिल सकता है क्या? यह एक सवाल है, हर सवाल का जवाब कोशिश करने से मिल सकता है। टेंशन (स्ट्रेस) होने पर हमें अपनी साँस के आने-जाने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। तनाव से साँसों को ध्यान देने से काफी हद तक हमें शांति मिलती है। श्वसन क्रिया कि जो लय होती है उसका हमारे शरीरएवं मन पर असर होता है। साँस को अंदर लेते समय 'शांति अंदर' और साँस छोड़ते समय 'टेंशन बाहर जा' ऐसा करीब एक मिनट लगातार कहते रहो, आपको टेंशन फ्री महसूस होकर मन में शांति का अनुभव होगा। मनुष्य वर्तमान को भूलकर भूतकाल एवं भविष्यकाल का विचार करता रहता है, जिसके कारण भूतकाल में घटित कुछ दुःखद घटनाओं को याद करके मन अस्वस्थ हो जाता है एवं तनाव पैदा हो जाता है। हम वर्तमान समय में क्या कर रहे हैं, सिर्फ इसी बात का विचार करना चाहिए।अपनी अच्छाई का सम्मान और जागरूकता इससे बढ़ेगी। मन में सुख, शांति और आनंद की प्राप्ति होगी। ऐसी जगह, चित्र एवं व्यक्ति के साथ रहकर अपने दुःख और टेंशन से मुक्ति प्राप्त होती है। मन को शांति देने वाले चित्र की कल्पना करके भी यह संभव होता है। जो व्यक्तिकेवल अपना स्वयं का ही विचार एवं स्वार्थ देखता है उसे सुख, शांति एवं आनंद का लाभ नहीं मिलता। दूसरों के प्रति सहानुभूति दिखाने, उनके सुख-दुःख में शामिल होने से मानसिक सुख प्राप्त होता है। सफलता भी मन की शांति, संतुलन और सुख की प्राप्ति करवाती है। हमें सफलता प्राप्त करने के लिए इस तरह का वातावरण बनाना पड़ता है। रोज रात में 6 से 7 घंटे नींद लेने से शरीर एवं दिमाग को शांति मिलती है। दूसरे दिन व्यक्ति ताजगी महसूस करता है। अपनी नींद खराब न हो, इसकी सतर्कता बरतनी पड़ती है। कृतज्ञ व्यक्ति ही सुखी एवं संतोषी व्यक्ति कहलाए जाने का अधिकारी होता है। प्रत्येक व्यक्ति का काम एवं उसकी इच्छा पूरी करने की कोशिश करने से ही मनुष्य टेंशन के चक्रव्यूह में फँस जाता है। स्वयं की प्राथमिकता, क्षमता व समय की पाबंदी को ध्यान में रखकर कुछ लोगों को प्यार से 'नहीं' कहना चाहिए। 'नहीं' यह भी कई बार मनुष्य को बड़ी उलझन में फँसने से बचा सकता है।