इन दिनों भारत के कई प्रदेशों की हवाओं में उत्सवों की खुशबू घुली हुई। गणेशोत्सव और रमजान की रौनक देखते ही बनती है।
गणपति के आगमन के बाद ही महराष्ट्रीयन परिवारों में महालक्ष्मी पूजन किया जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस दौरान देवी महालक्ष्मी तीन दिनों के लिए अपने मायके में आती हैं।
इसी समय रिद्धी-सिद्धी के दाता भगवान श्री गणेश अपने भक्तों के घर के आते हैं। अपने भाई गणेश से मिलने देवी लक्ष्मी भी घर पधारती हैं।
देवी महालक्ष्मी की स्थापना ज्येष्ठा और कनिष्ठा दो बहनों के रूप में की जाती है। महालक्ष्मी के स्वागत में आँगन में सुंदर रंगोलियाँ सजाईं जाती हैं।
समृद्धि की देवी महालक्ष्मी को परिवार के सदस्य 'महालक्ष्मी आली सोन्या मोत्याच्या पाऊली आली' के जयघोष के साथ स्थापित करते हैं।
पहले दिन देवी महालक्ष्मी की स्थापना की जाती है, दूसरे दिन उन्हें तरह-तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है। तीसरे दिन देवी की विदाई की जाती है।