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Written By WD

दक्षिण भारत का गोदम्बा उत्सव

गोदम्बा उत्सव दक्षिण भारत
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गोदम्बा उत्सव दक्षिण भारत में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। रामानुज संप्रदाय के प्रमुख संतों में से एक श्री विष्णुचित्त स्वामी को मां गोदम्बा (लक्ष्मीजी) तुलसी के बगीचे में मिली थी। उन्होंने गोदम्बाजी का लालन-पालन किया।

गोदम्बाजी ने भगवान को प्राप्त करने के लिए मलमास में उपवास किया। वे केवल खिचड़ी ग्रहण करती थीं। उपवास के 27वें दिन भगवान रंगनाथ (श्रीहरि विष्णु) प्रकट हुए। पश्चात रंगा-गोदम्बा का विवाह हुआ। रामानुज संप्रदाय द्वारा यह उत्सव मनाया जाता है। रंगा-गोदम्बा उत्सव के अवसर पर नृसिंह मंदिर में भगवान की आरती की जाती है।

पुजारी रमेश व्यास के अनुसार रामानुज संप्रदाय के प्रमुख पर्वों में से एक गोदम्बा उत्सव 16 दिसंबर की मध्यरात्रि से नृसिंह मंदिर में मनाया जाने वाला यह उत्सव एक माह चलता है। महोत्सव के 27वें दिन रंगा-गोदम्बा का शुभ विवाह संपन्न हुआ। मासपर्यंत भगवान को खिचड़ी तथा खीर का भोग लगा।

आत्माराम शर्मा के अनुसार तड़के 4 बजे स्वामी रंगनाथाचार्य व युवास्वामी माधव प्रपन्नचार्य द्वारा भगवान रंगनाथ तथा मां गोदम्बा का सहस्रधारा अभिषेक किया जाता है। तपश्चात घी से अभिषेक तथा 21 रजत कलशों में 56 औषधियुक्त जल, तीर्थ जल तथा सुगंधित द्रव्यों से मंत्रोच्चार कर अभिषेक होता है। शुद्घि स्नान के बाद भगवान का आकर्षक श्रृंगार, महाआरती के बाद खिचड़ी का प्रसाद वितरित ‍िकया जाता है।