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Written By WD

व्रत और त्योहारों का महीना कार्तिक

मोक्ष प्राप्ति का महीना है कार्तिक मास

व्रत और त्योहार
यूं तो हिंदू धर्म में व्रत और त्योहार का बहुत ज्यादा महत्व रहा है। साल के सभी 12 महीनों में शायद ही कोई ऐसा महीना होगा जब कोई व्रत या त्योहार न पड़ता हो। ऐसा माना जाता है कि व्रत और त्योहार करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और सदा हम पर ईश्वर का आशीर्वाद बना रहता है।

धर्म शास्त्रों और पुराणों के हिसाब से अन्य महीनों की अपेक्षा कार्तिक मास व्रत और त्योहार की दृष्टि से खास है। जो मनुष्य कार्तिक मास में व्रत व तप करता है वह मोक्ष को प्राप्त होता है।


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शरद पूर्णिमा के दिन से वर्षा ऋतु की विदाई और शरद ऋतु का प्रवेश हो जाता है। शरद पूर्णिमा के व्रत और स्नान के बाद ही शुरू हो जाता है त्योहारों और व्रतों का महीना कार्तिक। दूसरे महीनों की अपेक्षा इस महीने में सबसे ज्यादा त्योहार और व्रत होते हैं। यहां तक कि भगवान विष्णु की उपासना का क्रम भी इसी मास से शुरू होता है।

इस महीने में सबसे पहले पूर्णिमा व्रत व स्नान, पति की रक्षा के लिए करवा चौथ व्रत, अहोई व्रत, रमा एकादशी व्रत, गोवत्स द्वादशी, धनतेरस पर्व, नरक चतुर्दशी व हनुमान जयंती, धन संपत्ति की देवी मां लक्ष्मी का दीपावली पर्व, अन्नकूट महोत्सव व गोवर्धन पूजा, भाई की रक्षा के लिए भैया दूज, सूर्य की आराधना का पर्व छठ पूजा और देवोत्थान एकादशी व्रत जैसे सारे प्रमुख त्योहार और व्रत इसी महीने में आते हैं।


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हिंदू कैलेंडर में कुल 12 चंद्र मास रहते हैं। कार्तिक आठवां चंद्र माह है। धर्म शास्त्रों में कार्तिक महीने को सबसे पुण्य का महीना माना गया है। स्कंद पुराण में इसे सबसे अच्छा महीना माना गया है, वहीं पद्म पुराण में कार्तिक को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष देने वाला माह माना गया है।

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास में दीपदान करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट होते हैं। कहा जाता है कि इस महीने में जो मनुष्‍य देवालय, नदी किनारे, तुलसी के समक्ष एवं अपने शयन कक्ष में दीप जलाते है, उसे सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं।


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कार्तिक माह के पूरे महीने चलने वाले स्नान का तो धार्मिक दृष्टि से बड़ा ही महत्व रहा है। जो भी व्यक्ति कार्तिक महीने में सूर्योदय से पूर्व उठकर नदी, तालाब, कुएं अथवा नलकूप के पानी में स्नान करता है और अपने इष्ट का ध्यान व उपासना करता है तो उसे अत्यंत पुण्य, सुख, समृद्धि, आयु एवं आरोग्य की प्राप्ति होती है।

इसके साथ ही निरोगी काया के लिए आयुर्वेदिक दृष्टि से भी यह महीना बहुत लाभकारी माना जाता है। तभी तो इस महीने में भगवान धनवंतरी की पूजा होती है। इस महीने में प्रकृति नए रूप-रंग एवं सुगंध से युक्त होता है।

यह वह समय होता है, जब ठंड धीरे-धीरे बढ़ रही होती है और शीत ऋतु में प्रवेश कर रही होती है। सुबह खेतों में घास व फसलों पर ओस की बूंदों के रूप में प्रकृति के अनुपम मोती अपनी छटा बिखेरते हैं। सुबह-सुबह इन मोतियों को निहारने व इन पर नंगे पांव चलने से ने केवल नेत्र-ज्योति तेज होती है, बल्कि शारीरिक और मानसिक शक्ति भी बढ़ती है।