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नवरा‍त्रि में शत्रु शमन के लिए क्या करें...

शत्रु शमन
ईर्ष्या, द्वेष, प्रतिद्वंद्विता कलियुग में सर्वत्र पाए जाने वाले दोष हैं‍ जिनकी वजह से सज्जन मनुष्य प्राय: पी‍ड़ित पाए जाते हैं। इनसे बचने के सरल एवं उपयोगी साधन मंत्र निम्नलिखित हैं‍ जिनके प्रयोग से मनुष्य अपने कंटकाकीर्ण जीवन को सुखमय व सरल बना सकता है।

आगे पढ़ें मंत्र....

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(1) उत्थाय च महा‍सिंहं देवी चण्डम धावत।
गृहीत्वा चास्य केशेषु शिरस्ते नासिनाच्छिनत्।।


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(2) इत्युक्त: सोऽभ्यधावत्तामसुरो धूम्र लोचन:।
हुंकारेणैव तं भस्म सा चकाराम्बिका तत:।।


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(3) क्षणेन तन्महासैन्यम सुराणां तथाम्बिका।
नित्ये क्षयं यथा वहिनस्तृणदारूमहाचयम्।।

शत्रु शमन के लिए उपरोक्त मंत्रों में से कोई एक मंत्र चयन कर 21 माला नित्य संकल्प लेकर नवरात्रि में करें। हवन सामग्री में कालीमिर्च तथा सरसों का प्रयोग करें। नित्य अपना अभीष्ट देवी से निवेदन करें।

पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन अनिवार्य है