कर्नाटक विधानसभा में विश्वास मत से पहले जनता दल (सेक्युलर) द्वारा भारतीय जनता पार्टी से 12 सूत्री माँग पत्र पर हस्ताक्षर कराने की माँग पर जोर देने के कारण राज्य की छह दिन पुरानी बीएस येद्दीयुरप्पा सरकार का भविष्य अधर में है।
येद्दीयुरप्पा सोमवार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करेंगे। राज्यपाल रामेश्वर ठाकुर ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद उन्हें विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था।
जद (एस) के विधायक दल की आज हुई महत्वपूर्ण बैठक में सर्वसम्मति से पार्टी अध्यक्ष एचडी देवेगौड़ा तथा पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी से यह अनुरोध किया गया कि भाजपा द्वारा माँग पत्र पर हस्ताक्षर करने से इंकार किए जाने पर क्या निर्णायक कदम उठाया जाए।
बैठक के बाद कुमारस्वामी ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष ने राज्य सरकार का कामकाज सुचारू ढंग से चलाने के लिए इस माँग पत्र पर हस्ताक्षर कराने की जरूरत के बारे में विधायकों को बता दिया है।
येद्दीयुरप्पा ने राज्यपाल और राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के सामने 129 समर्थकों की परेड कराई थी ताकि सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के लिए दबाव बनाया जा सके।
जद (एस) भाजपा पर दबाव बना रहा है कि वह विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने से पहले पूर्व प्रधानमंत्री एवं जद (एस) अध्यक्ष एचडी देवेगौड़ा की ओर से पेश किए गए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करें।
येद्दीयुरप्पा के शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह, लोकसभा में विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद थे जबकि देवेगौड़ा इससे दूर रहें।
देवेगौड़ा ने राज्य सरकार की स्थिरता और सामान्य कामकाज के लिए इस ज्ञापन में 12 शर्ते रखी है, जिन्हें उनकी पार्टी सिफारिशों का नाम दे रही है1 मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने राज्य में भाजपा की सरकार के गठन के खिलाफ 12 नवंबर को काला दिवस मनाया था।
कर्नाटक की 225 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 79 और एक सहयोगी विधायक है, जबकि कांग्रेस के 65 विधायक हैं। जद (एस) के 12 बागियों समेत 58 सदस्य हैं। विश्वास मत पाने के लिए भाजपा को कम से कम 33 और विधायकों का समर्थन चाहिए।