सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण में विलंब से योगी खफा
लखनऊ। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य की महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण में हो रहे विलंब और बढ़ती लागत पर नाराजगी व्यक्त करते हुए इन परियोजनाओं में हुई देरी, इनकी उपयोगिता तथा लागत की उच्चस्तरीय समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने गुरुवार रात सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के प्रस्तुतीकरण के दौरान ये निर्देश देते हुए कहा कि समीक्षा के बाद इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। उन्होंने मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव सिंचाई, प्रमुख सचिव वित्त एवं प्रमुख सचिव नियोजन को इन परियोजनाओं की समीक्षा कर इन्हें पूरा करने के संबंध में कार्ययोजना और रणनीति तैयार करने के भी निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कहा कि योजनाओं के निर्माण के दौरान ही उसे पूरा किए जाने की समयावधि के साथ-साथ धनराशि के स्रोतों और उसकी व्यवस्था पर भी विचार कर निर्धारित अवधि में लक्ष्यों की पूर्ति की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सार्वजनिक धन का अपव्यय किया जाना एक अपराध है जिस पर सभी को ध्यान देना होगा। गोमती रिवरंट डेवलेपमेंट परियोजना के तहत कराए गए कार्य सार्वजनिक धन के अपव्यय का नमूना हैं।
योगी ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से आच्छादित मध्य गंगा नहर परियोजना के द्वितीय चरण में हो रहे विलंब और बढ़ती लागत पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्ष 2008-2009 से प्रारंभ की गई इस योजना की भौतिक प्रगति अब तक मात्र 38 प्रतिशत है। इसके साथ ही, उन्होंने नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित कनहर सिंचाई परियोजना की बढ़ती लागत पर भी नाराजगी जाहिर की और सरयू नहर परियोजना के संबंध में भी विलंब और लागत बढ़ने पर असंतोष जताया।
योगी ने बुंदेलखंड क्षेत्र से संबंधित अर्जुन सहायक नहर परियोजना, एरच बहुउद्देशीय बांध परियोजना, भौंरट बांध परियोजना, जमरार बांध परियोजना, कचनौदा बांध परियोजना की समीक्षा करते हुए कहा कि बुंदेलखंड में जल की उपलब्धता से वहां के विकास कार्यों को गति दी जा सकती है इसलिए इन परियोजनाओं को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। उन्होंने बाणसागर नहर परियोजना, विंध्याचल को भी पूर्ण करने के निर्देश दिए। (भाषा)