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Written By कीर्ति राजेश चौरसिया
Last Updated : शुक्रवार, 12 अगस्त 2016 (19:32 IST)

पानी ने गांव को घेरा, लोग बने बंधक (वीडियो)

Water
छतरपुर जिले की महाराजपुर विधानसभा का ग्राम गर्रापुर भारी बारिश के चलते टापू बन गया है। पानी गांव को चारों तरफ से अपनी चपेट में ले लिया है। इतना ही नहीं गांव का एकमात्र पहुंच मार्ग डूब जाने से गांव वालों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। 
कुछ समय पहले तक जो बुंदेलखंड सूखे की मार झेल रहा था, अब वहां लोगों को पानी रुला रहा है। उत्तरप्रदेश के सीमावर्ती उर्मिल डेम के किनारे बसा गांव गर्रापुर के वासी नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। आलम यह है कि लोग अप्रत्यक्ष रूप से बंधक बनकर रह गए हैं, उनकी दिनचर्या पर तो मानो विराम-सा लग गया है। 
इस गाँव से आने-जाने के लिए एकमात्र रास्ता भी पानी में डूब गया है। इस एक मात्र रास्ते पर लोगों को अपनी जान की बाजी लगाकर निकालना पड़ता है। बच्चे-बड़े सभी लोग अर्धनग्न हालत में इस पानी को पार करते हैं। कुछ लोग ट्यूब का भी इस्तेमाल करते हैं पर यह सुविधा सभी को मुहैया नहीं हैं। 
स्कूल जाने वाले बच्चों को तो मानो रोजाना मौत से सामना करना पड़ता है। अभिभावकों को अपने छोटे बच्चों को अपने कंधों पर बैठाकर पर कर रास्ता पार कराना पड़ता है। वहीँ थोड़े बड़े बच्चे अपने कपड़े उतारकर स्कूल बैग में रख लेते हैं और बैग को सिर पर रखकर पानी से निकलते हैं ताकि कपड़े और किताबें सुरक्षित रहें। गर्रापुर में बने प्राथमिक स्कूल में आने के लिए शिक्षकों को भी इसी तरह कपड़े उतारकर आना-जाना पड़ता है।
 
ग्रामीण महिलाओं की मानें तो साल में 6 महीने यही हाल रहता है। महिलाएं तो बंधक सी बन जाती हैं। गांव से बाहर जाने के लिए रास्ता पार करना पड़ता है। महिलाएं अपने कपड़े निकालकर तो नहीं जा सकतीं न ही उन्हें ऊपर कर सकती हैं। लोकलाज के कारण कहीं आ-जा नहीं पाते। विषम परिस्थियों या बीमारी के दौरान खाट पर सुलाकर या बैठकर चार लोगों द्वारा रास्ता पार कराया जाता है। 
 
बरसात होने पर बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। जिस दिन बारिश नहीं होती उसी दिन बच्चे स्कूल जा पाते हैं। बारिश में पानी का रास्ता पार करने में खतरा बढ़ जाता है। पानी में डूबे रास्ते को पार करने में हमेशा डर बना रहता है कि बच्चे सकुशल पहुंचे होंगे या नहीं। कहीं कोई अनहोनी न हो जाए, इस बात का हमेशा डर लगा रहता है। 
 
चूंकि गांव में ट्रैक्टर, बैलगाड़ी, मोटर साइकिलें नहीं निकल पा रही हैं, इसलिए वहां राशन भी आसानी से नहीं पहुंच पाता। दुर्भाग्य से इस ओर न तो शासन-प्रशासन का ध्यान है न ही कोई जनप्रतिनिध इन गांववासियों की सुध ले रहे हैं। सभी सब कुछ जानते हुए भी अंजान बने हुए हैं।