हिंसक हुआ पटेल आरक्षण आंदोलन, जानिए क्यों...
अहमदाबाद। पटेल आरक्षण आंदोलन के दौरान हार्दिक पटेल की गिरफ्तारी के बाद अहमदाबाद में अचानक हिंसा भड़क गई। देखते ही देखते सूरत, अहमदाबाद, राजकोट, जूनागढ़ और वड़ोदरा इसकी चपेट में आ गए। बसों में आग लगा दी गई, पुलिस थानों और चौकियों पर हमला किया गया और यहां तक की मेहसाणा में गृहराज्य मंत्री रजनीकांत पटेल के घर आग लगा दी गई। आइए जानते हैं उन कारणों पर एक नजर जिससे आंदोलन हिंसक हो गया...
अनशनकारियों पर लाठीचार्ज : आंदोलन की अगुआई कर रहे हार्दिक पटेल ने जैसे ही अनशन शुरू किया। पुलिस ने उन्हें बिना इजाजत अनशन के आरोप में उन्हें हिरासत में ले लिया और मैदान को खाली कराना शुरू कर दिया। पटेल के आग उगलते भाषण से जोश में भरे लोग इससे भड़क उठे। उन्हें काबू करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इससे लाखों लोगों की भीड़ तमतमा गई और 13 साल बाद अहमदाबाद में कर्फ्यू लगाना पड़ा।
आंदोलनकारियों का मजबूत नेटवर्क : हार्दिक पटेल ने सूरत, अहमदाबाद, राजकोट, जूनागढ़ और वड़ोदरा समेत पूरे गुजरात में अपना नेटवर्क बेहद मजबूत कर लिया। सूरत में तो वे रविवार को ही शक्ति प्रदर्शन कर चुके थे। जैसे ही अहमदाबाद में पटेलों पर लाठीचार्ज की खबर फैली, यहां के समाजजन भी सड़क पर आ गए। अहमदाबाद में तो फिर भी पुलिस की तैयारी अच्छी थी लेकिन अन्य शहरों में अचानक हुई हिंसा से हालात बेकाबू हो गए।
सही रणनीति का अभाव : अहमदाबाद में रैली से पहले ही पाटीदार समुदाय ने दावा किया था कि रैली में 25 लाख लोग शामिल होंगे। रैली के लिए बकायदा प्रशासन ने अनुमति भी दी थी। लेकिन इतनी भीड़ को काबू करने के लिए कोई मजबूत रणनीति नहीं बनाई गई थी। पहले कहा गया कि डीएम रैलीस्थल पर जाएंगे पर जब आंदोलनकारियों ने सीएम को बुलाने की बात कही और हार्दिक पटेल अनशन पर बैठ गए तो प्रशासन बौखला गया और अचानक सख्त हो गया।