नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए नवनिर्वाचित सभी 77 भाजपा विधायकों के समक्ष खतरे की आशंका को देखते हुए केंद्रीय अर्धसैनिक बल के जवान उन्हें सुरक्षा मुहैया कराएंगे। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विधानसभा के भाजपा सदस्यों की सुरक्षा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के सशस्त्र कमांडों करेंगे।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसकी मंजूरी केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा तैयार रिपोर्ट और मंत्रालय द्वारा चुनाव बाद भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ हुई हिंसा की पृष्ठभूमि में वहां भेजी गई उच्च स्तरीय अधिकारियों की टीम की ओर से मुहैया कराई जानकारी को संज्ञान में लेते हुए दी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय के आदेश के मुताबिक 77 में से 61 विधायकों को न्यूनतम एक्स श्रेणी की सुरक्षा दी जाएगी और सीआईएसएफ के कमांडो तैनात किए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि बाकी को या तो केंद्रीय सुरक्षा प्राप्त है अथवा उन्हें उच्च वाई श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी को पहले ही सीआरपीएफ के जवानों द्वारा जेड श्रेणी की सुरक्षा दी जा रही है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य में चुनाव के बाद उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर ये लोग संभावित खतरे का सामना कर रहे हैं और इसलिए उनकी सुरक्षा की जरूरत है। उन्होंने बताया कि भाजपा के कई प्रत्याशियों, जिनमें दल बदलकर भगवा पार्टी में आने वाले शामिल हैं को कुछ और समय के लिए केंद्रीय सुरक्षा मिलती रहेगी।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में 294 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में भाजपा 77 सीटों के साथ मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरी है। वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस ने एक बार फिर सरकार बनाई है। अधिकारियों के मुताबिक एक्स श्रेणी की सुरक्षा में तीन से चार कमांडों होते हैं जबकि वाई श्रेणी में यह संख्या 6 से 7 कमांडों की हो जाती है। वहीं, जेड श्रेणी में व्यक्ति की सुरक्षा के लिए 6 से 9 कमांडों तैनात रहते हैं।
सीआईएसएफ और सीआरपीएफ के पास अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा करने की प्रशिक्षित इकाई है और दोनों बल करीब 140 हस्तियों को सुरक्षा मुहैया कराते हैं जिनमें केंद्रीय मंत्री, सांसद और नौकरशाह शामिल हैं।
शुभेंदु अधिकारी चुने गए नेता प्रतिपक्ष : दूसरे सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में सामने आई भाजपा ने सोमवार को सर्वसम्मति से शुभेंदु अधिकारी को नेता प्रतिपक्ष चुना। केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पार्टी विधायकों के साथ बैठक करने के बाद शुभेंदु अधिकारी के भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने की घोषणा की। अधिकारी ने एक कड़े मुकाबले में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नंदीग्राम विधानसभा सीट से 1900 मतों के अंतर से हराया है।
भाजपा ने नदिया सीट से जीत हासिल करने वाले मुकुल राय समेत पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर अधिकारी को तवज्जो दी है। भाजपा की बैठक में मौजूद 22 विधायकों ने अधिकारी के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया। घोष ने बताया कि अधिकतर विधायक भाजपा कार्यकर्ताओं पर हुए हमले को लेकर सहायता कार्य में व्यस्त हैं जबकि दो विधायक कोरोना से संक्रमित हो गए हैं।
एक समय तृणमूल कांग्रेस में नंबर दो माने जाने वाले मुकुल रॉय ने चुनाव से पहले तृणमूल के कई नेताओं को भाजपा में शामिल करने में अहम भूमिका निभाई थी। नेता प्रतिपक्ष चुने जाने पर अधिकारी ने कहा कि मैं 2006 से विधायक हूं। मैंने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के अहंकार को देखा है। हमें संसदीय नियमों के मुताबिक विधानसभा में विपक्ष की रचनात्मक भूमिका अदा करनी होगी।
दरअसल, 2007-08 में नंदीग्राम में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ हुए आंदोलन के दौरान अधिकारी ममता बनर्जी के साथ थे और उन्होंने भूमि अधिग्रहण के खिलाफ बनाई गई समिति के गठन में अहम भूमिका निभाई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के नेतृत्व वाली सरकार नंदीग्राम की हजारों एकड़ जमीन को कब्जे में लेकर उसे पेट्रोकैमिकल का गढ़ बनाना चाहती थी। ममता सरकार में परिवहन और पर्यावरण समेत कई अहम मंत्रालय संभाल चुके अधिकारी पिछले वर्ष दिसंबर में भाजपा में शामिल हुए थे।
9 मई से नहीं हुई राजनीतिक हिंसा : पश्चिम बंगाल सरकार ने सोमवार को कोलकाता उच्च न्यायालय की एक पीठ को बताया कि राज्य में 9 मई से चुनाव बाद राजनीतिक हिंसा का कोई मामला सामने नहीं आया है। साथ ही उसने न्यायालय को भविष्य में शांति सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कदम उठाने का आश्वासन भी दिया। पांच न्यायाधीशों की पीठ ने इस संबंध में 17 मई तक उचित कदम उठाए जाने का निर्देश देने के साथ ही जनहित याचिका पर 18 मई को सुनवाई तय की।
वकील एवं याचिकाकर्ता अनिंदय सुंदर द्वारा जनहित याचिका में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में हो रही राजनीतिक हिंसा का मुद्दा उठाया। चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी और चुनाव नतीजे सामने आने के बाद भाजपा और तृणमूल समर्थकों एवं कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पें हुईं। पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से पेश महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने अदालत के समक्ष दलील दी कि राज्य में नौ मई से राजनीतिक हिंसा का कोई मामला सामने नहीं आया है।
टीएमसी के 43 विधायकों को मंत्री पद की शपथ : ममता बनर्जी नीत नई सरकार के मंत्रिमंडल के कम से कम 43 सदस्यों को सोमवार को राजभवन में एक संक्षिप्त समारोह में मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बीच राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने एक संक्षिप्त समारोह में मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
तृणमूल कांग्रेस के अमित मित्रा, ब्रत्य बासु और रतिन घोष को डिजिटल तरीके से शपथ दिलाई गई। मित्रा इस समय अस्वस्थ हैं और बासु तथा घोष कोविड-19 से उबर रहे हैं। जिन्हें शपथ दिलायी गयी, उनमें 24 कैबिनेट मंत्री एवं 10 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं। 8 महिलाएं भी मंत्रिमंडल में शामिल की गयी हैं तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मिलाकर अब मंत्रिमंडल में 9 महिलाएं हैं। राज्य सचिवालय में सरकार की पहली मंत्रिमंडलीय बैठक में मंत्रियों के विभाग तय किए गए।
मुख्यमंत्री ने गृह, पहाड़ी विषय, कार्मिक एवं प्रशासन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, भूमि एवं भू सुधार, शरणार्थी एवं पुनर्वास तथा सूचना एवं संस्कृति विषय तथा उत्तर बंगाल विकास विभाग अपने पास रखे हैं। अमित मित्रा, सुब्रत मुखर्जी, फरहाद हकीम और पार्थ चटर्जी समेत पिछली ममता बनर्जी सरकार के सभी वरिष्ठ मंत्रियों को फिर मंत्रिमंडल में जगह मिली है।
क्रिकेट से राजनीति में आए मनोज तिवारी, सुभेंदु अधिकारी के विरोधी अखिल गिरि एवं पूर्व आईपीएस अधिकारी हुमायूं कबीर मंत्रिमंडल में शामिल किए गए 16 नए चेहरों में शामिल हैं। वैसे ज्यादातर मंत्रियों को अपने पुराने विभाग मिले हैं लेकिन पार्थ चटर्जी को उद्योग, वाणिज्य एवं उपक्रम तथा सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रोनिक्स तथा संसदीय कार्य विभाग सौंपे गए।
ब्रत्य बासु को शिक्षा मंत्री बनाया गया है जो पहले चटर्जी के पास था। मोहम्मद गुलाम अब नये अल्पसंख्यक कार्य एवं मदरसा शिक्षा मंत्री हैं। सोभनदेब चट्टोपाध्याय को कृषि विभाग सौंपा गया है जबकि अरूप विश्वास खेल मंत्री बने रहेंगे और उनके पास विद्युत विभाग भी होगा।
पिछले ममता बनर्जी मंत्रिमंडल में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रही ज्योति प्रियो मलिक को अब वन मंत्री बनाया गया है जबकि नये चेहरे रतिन घोष को खाद्य एवं आपूर्ति विभाग दिया गया है। मलिक के पास अनवीकरणीय एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग भी रहेंगे। मुख्यमंत्री ने बाद में घोषणा की कि निर्मल घोष एवं तापस राय विधानसभा में पार्टी के सचेतक और उपसचेतक होंगे। आशीष बनर्जी विधानसभा के उपाध्यक्ष होंगे। (भाषा)