संजय राउत ने की ‘एक देश, एक भाषा’ की वकालत
मुंबई। शिवसेना नेता संजय राउत ने शनिवार को एक देश, एक भाषा की वकालत की। उन्होंने कहा कि हिंदी पूरे भारत में बोली जाती है और उसकी स्वीकार्यता भी है।
राउत ने कहा कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह को यह चुनौती स्वीकार करनी चाहिए कि सभी राज्यों में एक भाषा हो। उनकी यह टिप्पणी तब आई है, जब करीब एक महीने पहले शाह ने कहा था कि हिंदी को अंग्रेजी के विकल्प के तौर पर स्वीकार किया जाना चाहिए, न कि स्थानीय भाषाओं के विकल्प के तौर पर। उनके इस बयान का दक्षिणी राज्यों में कई प्रतिष्ठित नेताओं ने विरोध किया था।
राउत की यह टिप्पणी तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री के पोनमुडी से जुड़े एक सवाल के जवाब में आई है, जिन्होंने एक दिन पहले हिंदी को कथित तौर पर थोपने की किसी भी कोशिश की निंदा की थी और उन दावों पर सवाल उठाए थे कि इस भाषा को सीखने से रोजगार मिलेगा।
हिंदी सीखने वालों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध होने का दावा करने वालों पर निशाना साधते हुए पोनमुडी ने पूछा था कि अभी कोयंबटूर में पानी पूरी कौन लोग बेच रहे हैं। उनका इशारा स्पष्ट रूप से इस कार्य से जुड़े हिंदी भाषी विक्रेताओं की ओर था।
तमिलनाडु के मंत्री की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर राउत ने कहा कि उनकी पार्टी ने हमेशा हिंदी का सम्मान किया है। मुझे सदन में जब भी मौका मिलता है, मैं हिंदी में बोलता हूं, क्योंकि देश को सुनना चाहिए कि मैं क्या कहना चाहता हूं, यह राष्ट्र की भाषा है। हिंदी इकलौती भाषा है, जिसकी स्वीकार्यता है और पूरे देश में इसे बोला जाता है।
राउत ने यह भी कहा कि हिंदी फिल्म उद्योग देश-दुनिया में गहरा प्रभाव रखता है। इसलिए किसी भी भाषा का अपमान नहीं किया जाना चाहिए।