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Last Updated :मांड्या , सोमवार, 29 जनवरी 2024 (00:10 IST)

कर्नाटक में 108 फुट ऊंचे खंभे से हनुमान ध्वज हटाने से तनाव, भीड़ को शांत करने के लिए पुलिस का प्रयोग

कर्नाटक में 108 फुट ऊंचे खंभे से हनुमान ध्वज हटाने से तनाव, भीड़ को शांत करने के लिए पुलिस का प्रयोग - Row after Hanuman flag removed in Karnataka village, locals stage protest
कर्नाटक में मांड्या जिले के केरागोडु गांव में रविवार को उस समय तनाव पैदा हो गया जब अधिकारियों ने 108 फुट ऊंचे स्तंभ से हनुमान ध्वज उतार दिया। इस घटना के बाद राज्य में सरकार और विपक्ष के बीच राजनीतिक विवाद शुरू हो गया।
 
ध्वज उतारे जाने के खिलाफ भाजपा, जनता दल सेक्युलर (जद-एस) और बजरंग दल के सदस्यों के साथ-साथ गांव और उसके आसपास के लोगों के एकत्र होने पर, एहतियातन बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है।
 
पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा। घटना के बाद पुलिस और प्रशासन ने ध्वज स्तंभ पर हनुमान ध्वज (भगवान हनुमान की तस्वीर वाले झंडे) की जगह राष्ट्रीय ध्वज लगा दिया।
 
आधिकारिक और पुलिस सूत्रों ने बताया कि केरागोडु और 12 पड़ोसी गांवों के निवासियों और कुछ संगठनों ने रंगमंदिर के पास ध्वज स्तंभ की स्थापना के लिए धन दिया था। कथित तौर पर, भाजपा और जद (एस) कार्यकर्ता इसमें सक्रिय रूप से शामिल थे।
 
सूत्रों ने बताया कि ध्वज स्तंभ पर हनुमान की तस्वीर वाला भगवा झंडा फहराया गया, जिसका कुछ लोगों ने विरोध किया और प्रशासन से शिकायत की। इसपर कार्रवाई करते हुए तालुक पंचायत कार्यकारी अधिकारी ने ग्राम पंचायत अधिकारियों को ध्वज हटाने का निर्देश दिया।
 
बड़ी संख्या में महिलाओं सहित कई ग्रामीणों ने ध्वज को हटाने का पुरजोर विरोध किया। ध्वज स्तंभ हटाए जाने की आशंका से कुछ कार्यकर्ता और ग्रामीण शनिवार आधी रात के बाद से ही वहां मौजूद थे।
 
वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में ध्वज को उतारने के बाद रविवार सुबह तनाव बढ़ गया और पुलिस और प्रदर्शनकारी ग्रामीणों व कार्यकर्ताओं के बीच तीखी नोकझोंक हुई।
 
कुछ प्रदर्शनकारियों ने सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार और मांड्या से कांग्रेस विधायक गनीगा रविकुमार के प्रति अपने आक्रोश जताया और उनके खिलाफ नारे लगाए। प्रदर्शनकारी अपनी मांग पर अड़े रहे और ध्वज स्तंभ के आधार पर एक छोटे भगवा झंडे के साथ भगवान राम के चित्र वाला एक फ्लेक्स बोर्ड लगा दिया।
 
पुलिस ने उस झंडे को हटाने की कोशिश की तो उसे प्रतिरोध का सामाना करना पड़ा और प्रदर्शनकारियों ने ‘जय श्री राम, जय हनुमान’ के नारे लगाए।
 
दोपहर बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बल पूर्वक हटा दिया और कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए हल्का लाठीचार्ज किया। इसके बाद, पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने आखिरकार ध्वज स्तंभ से हनुमान ध्वज हटाते हुए तिरंगा लगा दिया।
 
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने चित्रदुर्ग के जिला मुख्यालय शहर में संवाददाताओं से कहा कि राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बजाय भगवा ध्वज फहराया गया, ‘‘यह ठीक नहीं है। मैंने राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए कहा है।’’
 
मांड्या जिले के प्रभारी मंत्री एन चेलुवरयास्वामी ने स्पष्ट किया कि ध्वज स्तंभ का स्थान पंचायत के अधिकार क्षेत्र में आता है और राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति ली गई थी। उन्होंने बताया कि गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था ‘‘लेकिन उस शाम इसे दूसरे ध्वज से बदल दिया गया।’’
 
हालांकि, उन्होंने किसी निजी स्थान पर या किसी मंदिर के पास हनुमान ध्वज की स्थापना का समर्थन किया।
 
चेलुवरयास्वामी ने कहा, ‘‘इसके (राष्ट्रीय ध्वज की जगह हनुमान ध्वज स्थापित करने) पीछे राजनीति भी हो सकती है। मुझे नहीं पता कि इसके पीछे कौन है...यह देश लोकतंत्र और संविधान से चलता है।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘कल वे कह सकते हैं कि वे जिलाधिकारी कार्यालय के सामने झंडा (भगवा झंडा) फहराना चाहते हैं। क्या इसकी अनुमति दी जा सकती है? यदि इसे एक स्थान पर अनुमति दी जाती है, तो इसका विस्तार अन्य स्थानों पर भी होगा। यही एकमात्र चिंता है।’’
 
कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा नेता आर अशोक ने बेंगलुरु में सरकार के ‘हिंदू विरोधी रुख’ और पुलिस हस्तक्षेप की निंदा की। उन्होंने कहा कि हनुमान ध्वज को ग्राम पंचायत की मंजूरी के बाद लगाया था लेकिन कांग्रेस सरकार ने‘अचानक’ इसे हटा दिया।
 
उन्होंने सरकार की कार्रवाई को भगवान राम विरोधी रुख और हनुमान का अपमान करार देते हुए पूछा, ‘‘पुलिस कार्रवाई की क्या ज़रूरत थी? प्रशासन ने ग्रामीणों से बात क्यों नहीं की? ध्वज को अनुमति देने के लिए ग्राम पंचायत ने प्रस्ताव पारित किया था।’’ अशोक ने अन्य भाजपा नेताओं के साथ केरागोडु गांव का दौरा किया लेकिन जब उन्होंने घटनास्थल पर जाने की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया और दूसरे स्थान पर ले गई।
 
भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने सरकार पर दमन के जरिये ध्वज हटाने और कानून-व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति पैदा करने का आरोप लगाया। उन्होंने दोहराया कि अपेक्षित मंजूरी मिलने के बाद ध्वजस्तंभ स्थापित किया गया और ध्वज फहराया गया।
 
विजयेंद्र के मुताबिक ग्राम पंचायत ने पहले इस आशय का एक प्रस्ताव पारित किया था। उन्होंने कहा, ‘‘ यदि राज्य सरकार ने पुलिस उत्पीड़न और गुंडागर्दी का उपयोग करके ध्वज को हटाने का दुस्साहस किया है, तो यह कांग्रेस सरकार के सत्ता के अहंकार की परकाष्ठा को दर्शाता है।’’
 
इस बीच, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को राज्य की कांग्रेस सरकार की ‘हिंदू विरोधी नीति’ और राष्ट्रीय ध्वज के ‘अपमान’ की निंदा करते हुए कल (29 जनवरी) राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करने का निर्देश दिया।
 
उन्होंने हनुमान ध्वज उतारने की आलोचना करते हुए दावा किया कि अधिकारियों ने राष्ट्रीय ध्वज का भी अपमान किया है। भाषा