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Last Modified: शनिवार, 9 जनवरी 2021 (22:25 IST)

सफल बॉयोपिक बनाने के लिए सही किरदार का चयन जरूरी-बादल

सफल बॉयोपिक बनाने के लिए सही किरदार का चयन जरूरी-बादल - Rajesh Badal in Parul university Webinar
वड़ोदरा। पारूल विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ जर्नलिज्म एंड मॉस कम्युनिकेशन की ओर से 'मेकिंग बॉयोपिक फिल्म' पर एक दिवसीय ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि देश के जाने माने पत्रकार, फिल्मकार एवं राज्यसभा टीवी के पूर्व कार्यकारी निदेशक राजेश बादल ने प्रतिभागियों को संबोधित किया। 
 
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बायोपिक बनाने के लिए पहले उचित किरदार की तलाश करें। उस किरदार पर जरूरी शोध करें। रिसर्च कार्य को क्रॉस चैक करें। इसके साथ ही नकारात्मक चरित्रों के नायकों पर बायोपिक नहीं बनाएं। उन्होंने कहा कि वीरप्पन एवं फूलनदेवी पर बायोपिक तो बनीं मगर चली नहीं।
 
उन्होंन कहा कि वर्तमान में बायोपिक में कल्पनाशीलता एवं तकनीक का तड़का लग रहा है, लेकिन इसका प्रभाव तथ्यों पर कतई नहीं आता है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि जैसा बायोपिक का किरदार हो वैसा अभिनेता या एक्टर का होना भी जरूरी हैं।
 
उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बायोपिक को इसी कान्टेक्स में समझाया जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के किरदार को मोदी बायोपिक में विवेक आबेरॉय ने किया था। उन्होंने बायोपिक बनाने में चुनौतियां एवं कालखंड को जीवित करने की बात कही। उन्होंने मुंशी प्रेमचंद एवं रवीन्द्रनाथ टैगोर के जीवन के विभिन्न उदाहरण देते हुए समझाया।
 
बादल ने बायोपिक निर्माण के बारे में जानकारी दी साथ ही मीडिया में करियर की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत में अभी बायोपिक फिल्म उद्योग स्थापित हो रहा है। बायोपिक में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया से अच्छा एवं मीडिया में भी पत्रकारिता से अच्छा कोई कार्य नहीं है। यह एक आनंद देने वाला क्षेत्र है। उन्होंने बायोपिक एवं डाक्यूमेंट्री में अंतर भी 
 
उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवार एवं बायोपिक फिल्म का एक अद्भुत नाता है। संयुक्त परिवार में रहते हुए दादी- नानी की कहानियों को सुनने से जो स्टोरी टेलिंग की स्किल पैदा होती है, वही बायोपिक के रूप में हमारे काम में आती है। उन्होंने मुंशी प्रेमचंद को देश का प्रथम चित्रपट कथा लेखक बताया। साथ ही 113 साल पहले 1913 में राजा हरिशचंद्र नामक फिल्म जो कि दादा साहब फाल्के ने बनाई थी, उसे प्रथम बॉयोपिक फिल्म बताया।
 
प्रारंभ में यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. रमेश कुमार रावत ने स्वागत भाषण दिया साथ वेबिनार के समापन पर आभार व्यक्त किया।  राजेष बादल का स्वागत उद्बोधन के माध्यम से स्वागत कर विस्तृत परिचय दिया एवं ऑनलाईन वेबीनार के समापन पर उनका आभार जताया। इस ऑनलाइन वर्कशॉप में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अचलेंद्र कटियार, गोपी शाह, भौतिक पटेल, इशानी स्मिता पटेल, भूमिका दवे, पुनीत पाठक, मिहिर कुमार सेठ, रेवती यादव सहित करीब 1300 प्रतिभागियों ने भाग लिया। 
 
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