मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य, जिलों और तहसील स्तरों पर कंट्रोल रूम 24 घंटे संचालित हों। जिलों से इन 2 दिन हर घंटे रिपोर्ट भेजी जाए। कोई घटना होने पर उसकी सूचना तुरंत दी जाए। रेस्पॉन्स टाइम कम से कम होना चाहिए। नदियों के जलस्तर पर लगातार नजर रखी जाए। आईटीबीपी, सीडब्ल्यूसी, बीआरओ, एसडीआरएफ, राजस्व, पुलिस आदि आपसी समन्वय से काम करें। ट्रेकर्स के बारे में पूरी सूचना रखी जाए और उनसे संपर्क रखें। लैंडस्लाइड जोन पर विशेष ध्यान रखा जाए। रास्ते बंद होने पर तुरंत खोलने की व्यवस्था हो। यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि भूस्खलन आदि स्थिति में लोग कहीं फंसें नहीं और वे सुरक्षित स्थानों पर ठहरें। आपदा बचाव और राहत संबंधी उपकरण सुचारु स्थिति में हों।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारी बारिश के अलर्ट को देखते हुए पूरी सावधानी बरतनी है। यात्रियों और पर्यटकों से भी सावधानी रखने की अपील की जाए, परंतु किसी तरह के पैनिक की भी जरूरत नहीं है। जिलाधिकारी, एसएसपी स्वयं मॉनिटरिंग करें। बैठक में सभी जिलाधिकारियों से जिलों की पूरी जानकारी ली गई। बताया गया कि सभी जगह स्थिति अभी सामान्य है। एहतियातन चारधाम यात्रियों को सुरक्षित रहे इसलिए रोका गया है। रुकने व खाने की पर्याप्त व्यवस्था है।
बैठक में आपदा प्रबंधन मंत्री डॉ. धनसिंह रावत, विधायक संजय गुप्ता, मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, सचिव एसए मुरुगेशन, आईजी वी. मुरुगेशन, आईजी एसडीआरएफ पुष्पक ज्योति, एसीईओ आपदा प्रबंधन रिद्धिम अग्रवाल सहित वीडियो कांफ्रेंसिंग द्वारा सभी मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, बीआरओ, आईएमडी, आईटीबीपी, सीडब्ल्यूसी, उत्तराखंड सब एरिया सहित संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।