हिंसा के 2 साल बाद मणिपुर बंद, कई इलाकों में बुलाया गया बंद, मृत लोगों को किया याद
मणिपुर में जातीय संघर्ष की दूसरी बरसी पर शनिवार को विभिन्न समूहों द्वारा आहूत बंद से मेइती नियंत्रित इंफाल घाटी और कुकी बहुल पहाड़ी जिलों में सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा और और सामूहिक सभाओं का आयोजन किया गया। इस दौरान सभी निवासियों की स्वतंत्र और सुरक्षित आवाजाही तथा एक अलग प्रशासनिक व्यवस्था की मांग भी की गई।
मेइती बहुल इंफाल घाटी और कुकी-जो बहुल पहाड़ी जिलों में बंद के कारण पूरे राज्य में जनजीवन ठप हो गया। मणिपुर अखंडता पर मेइती समूह समन्वय समिति (सीओसीओएमआई) ने घाटी के जिलों में बंद का आह्वान किया है जबकि जोमी छात्र संघ (जेडएसएफ) और कुकी छात्र संगठन (केएसओ) ने पहाड़ी जिलों में बंद आयोजित किया है।
राज्य की राजधानी इंफाल में सीओसीओएमआई ने खुमान लम्पक स्टेडियम में एक सार्वजनिक सम्मेलन आयोजित किया, जहां वक्ताओं ने केंद्र सरकार से राज्य के सभी निवासियों की "स्वतंत्र और सुरक्षित आवाजाही" सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
'मणिपुर पीपुल्स कन्वेंशन' नाम से आयोजित इस सम्मेलन में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें केंद्र पर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया गया तथा शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए तत्काल और समयबद्ध कार्ययोजना तैयार करने का आह्वान किया गया।
इसमें कहा गया है कि पीपुल्स कन्वेंशन मांग करता है कि भारत सरकार संकट को जारी रखने में अपनी भूमिका के लिए औपचारिक रूप से जिम्मेदारी स्वीकार करे तथा मणिपुर में शांति, कानून-व्यवस्था तथा सभी समुदायों के लिए सुरक्षित वातावरण की बहाली के लिए एक व्यापक, समयबद्ध कार्ययोजना तुरंत शुरू करे।"
सम्मेलन में कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (केएनओ) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ) जैसे उग्रवादी समूहों के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (एसओओ) समझौतों की भी निंदा की और दावा किया कि इन इकाइयों को 2008 से समझौते की आड़ में "सुरक्षित आश्रय, वित्तीय सहायता और सैन्य सहायता" प्राप्त हुई है।
प्रस्ताव में इस बात पर जोर दिया गया कि मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि किसी भी परिस्थिति में मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता, ऐतिहासिक पहचान और राजनीतिक एकता से समझौता नहीं किया जाएगा। राज्य को विभाजित या विघटित करने के किसी भी बाहरी या आंतरिक प्रयास का मणिपुर के लोग दृढ़तापूर्वक और सामूहिक रूप से विरोध करेंगे।"
इसने केंद्र से गैरकानूनी घुसपैठ से निपटने का भी आग्रह किया और आरोप लगाया कि कई लोग जाली दस्तावेजों के आधार पर राज्य में बस गए हैं। अधिकारियों के अनुसार, 2023 में इसी दिन मेइती और कुकी समुदाय के बीच जातीय संघर्ष हुआ था जिसमें 260 से ज्यादा लोग मारे गए, लगभग 1500 अन्य घायल हुए और 70,000 से ज़्यादा लोग विस्थापित हो गए।
पहाड़ी जिलों चुराचांदपुर और कांगपोकपी में कुकी समुदाय अलग क्षेत्र की मांग को लेकर बंटवारा दिवस मना रहे हैं। भाषा Edited by: Sudhir Sharma