अब भूमि जिहाद की चर्चा, उत्तराखंड में हटेंगी मजारें
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार उत्तराखंड में 'भूमि जिहाद' को आगे नहीं बढ़ने देगी।
नैनीताल जिले के कालाढ़ूंगी क्षेत्र में एक कार्यक्रम में धामी ने कहा कि इस प्रदेश के अंदर 1000 से भी ज्यादा स्थान चिन्हित किए गए हैं जहां अनावश्यक रूप से कहीं मजार बना दी गई हैं या कहीं कुछ और बना दिया गया है।
उन्होंने कहा कि हम किसी के खिलाफ नहीं है लेकिन यहां जबरन किसी का कब्जा नहीं होने देंगे। कहीं पर भूमि जिहाद को भी आगे नहीं बढ़ने देंगे क्योंकि हम कानून को मानने वाले और उस पर विश्वास करने वाले लोग हैं।
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार किसी का नुकसान करने के लिए कोई काम नहीं करेगी, लेकिन किसी का तुष्टिकरण भी नहीं होने देगी। उन्होंने कहा कि हम तुष्टीकरण पर कठोरता से लगाम लगाएंगे।
धामी ने प्रदेश में जनसंख्या में पैदा हो रहे असंतुलन का जिक्र करते हुए कहा कि उस पर रोक लगाने के लिए भी उनकी सरकार प्रदेश में विशेष अभियान चलाएगी। उन्होंने कहा कि हमारे लिए प्रदेश का हित सर्वोपरि है और हमारी सरकार जब तक इस काम को पूरा नहीं कर लेगी तब तक न तो चुप बैठेगी या न ही रुकेगी।
बाद में, इस संबंध में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अतिक्रमण करने वाले लोगों से हमने कहा कि वे अपना अतिक्रमण स्वत: हटा लें अन्यथा सरकार उसे हटाएगी। उन्होंने कहा कि हमने कहा है कि अतिक्रमण चाहे वन विभाग की भूमि पर हो या लोक निर्माण विभाग या राजस्व विभाग की भूमि पर, उसे स्वत: ही हटा लें। उत्तराखंड के अंदर यह भूमि जिहाद नहीं चलेगा।
गौरतलब है कि धामी सरकार ने पिछले साल नवंबर में धर्मांतरण विरोधी कानून को और कड़ा करते हुए जबरन धर्म परिवर्तन के दोषियों के लिए 10 साल तक की सजा का सख्त प्रावधान किया है।
उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता कानून में जबरन धर्म परिवर्तन को संज्ञेय और गैरजमानती अपराध बनाते हुए इसका दोषी पाए जाने पर न्यूनतम तीन साल से लेकर अधिकतम 10 साल तक के कारावास के अलावा कम से कम पचास हजार रुपए के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। कानून में अपराध करने वाले को कम से कम 5 लाख रुपए की मुआवजा राशि के भुगतान का भी प्रावधान रखा गया है जो पीड़ित को देय होगा। (भाषा)