जम्मू सीमा से तार काटकर ही आए थे नगरोटा के हमलावर
श्रीनगर। पिछले महीने नगरोटा स्थित सेना की 16वीं कोर के मुख्यालय पर फिदायीन हमला करने वाले तीनों आतंकी जम्मू सीमा से तारबंदी को काट कर घुसे थे और उन्होंने सीमा से नगरोटा तक का सफर उस वाहन में तय किया था जो उन्हें बॉर्डर पर स्थित ओजीडब्ल्यू ने मुहैया करवाया था।
अभी तक यही कहा जा रहा था कि हमलावर कश्मीर से आए थे, लेकिन हमले वाले स्थान से कुछ भारत निर्मित दवाओं के मिलने के बाद उनके बैच की जांच ने एनआईए की टीम को रामगढ़ सेक्टर के नंगा गांव तक पहुंचा दिया था जहां से पकड़े गए प्रेम कुमार से जब कड़ी पूछताछ की तो उसने सब कुछ उगल दिया। उसकी निशानदेही पर दो अन्य लोग भी दबोचे गए हैं।
प्रेम कुमार के बकौल, 29 नवंबर की रात को ही तीनों हमलावर सीमा पर तार को काटकर इधर घुसे थे और उसे इसकी जानकारी कई दिन पहले से इसलिए थी क्योंकि वह खुद लश्कर के कई शीर्ष नेताओं से फोन पर संपर्क में था। हालांकि चमलियाल सीमा चौकी पर मारे गए तीन अन्य आतंकियों के साथ संपर्क नहीं होने के कारण वह उन्हें गंतव्य स्थान तक नहीं पहुंचा पाया था। नतीजतन बीएसएफ ने तीनों को मार गिराया था।
अगर मिली जानकारी पर विश्वास करें तो घुसने वाले 6 आतंकी दो अलग स्थानों पर एकसाथ कहर बरपाना चाहते थे, लेकिन दूसरे दल के साथ संपर्क नहीं होने के कारण वे बीएसएफ के साथ टकरा गए थे और पांच घंटों की भीषण मुठभेड़ के बाद तीनों मारे गए थे। तीनों आतंकी मानव बम थे जिन्होंने अपने शरीरों के साथ विस्फोटक बांध रखे थे।
एनआईए के सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान अपने जहां होने वाली भारतीय फौज की सर्जिकल स्ट्राइक से हताशा की स्थिति में है और उसका बदला लेने की खातिर वह ऐसे कई हमलों को अंजाम देने की योजनाएं तैयार कर चुका है। हालांकि पकड़े गए ओजीडब्ल्यू का दावा था कि नगरोटा के हमले वाले स्थल से मिले वे पोस्टर गुमराह करने के लिए थे जिनमें इस हमले को अफजल गुरू की मौत से जोड़ा गया था।
अधिकारियों के मुताबिक, फिलहाल मामले में इसकी भी जांच चल रही है कि सीमावर्ती गांवों में और कितने ओजीडब्ल्यू हैं। दरअसल यह पहला अवसर था कि जम्मू के सीमावर्ती गांव से कोई ऐसा ओवर ग्राउंड वर्कर पकड़ा गया हो जिसने इतने बड़े आतंकी हमलों को अंजाम देनेे की खातिर आतंकियों की मदद की हो। सुरक्षाधिकारी और आसपास के गांववाले इस घटना और गिरफ्तारियों से सकते में जरूर हैं।