सोमवार, 23 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. प्रादेशिक
  4. Jammu Kashmir violence, Governor NN Vohra
Written By सुरेश एस डुग्गर

अब कश्मीर में दंगाइयों की खैर नहीं...

अब कश्मीर में दंगाइयों की खैर नहीं... - Jammu Kashmir violence, Governor NN Vohra
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने एक अध्यादेश लागू किया है, जिसके तहत हड़ताल या विरोध-प्रदर्शनों के दौरान अगर कोई व्यक्ति सरकारी संपत्ति को नुकसान करते हुए पाया जाता है तो उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है और उसे पांच साल तक की जेल भी हो सकती है। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी है। जम्मू कश्मीर सार्वजनिक संपत्ति (नुकसान को रोकना) (संशोधन) अध्यादेश, 2017 सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान संबंधी मौजूदा कानून में संशोधन करता है और इसे तत्काल लागू किया गया है।
 
राज्य में अब दंगाइयों और जबरन बंद कराने वालों की खैर नहीं है। हड़ताल, बंद के दौरान या फिर दंगे में अगर किसी निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचेगा तो दोषियों को न सिर्फ बाजार की तात्कालिक दर के मुताबिक क्षतिग्रस्त संपत्ति के लिए जुर्माना चुकाना होगा, बल्कि उन्हें पांच साल तक जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है।
 
हालांकि राज्य में पहले इस तरह का एक कानून था, लेकिन वह सिर्फ सार्वजनिक संपत्ति तक सीमित था। राज्यपाल एनएन वोहरा ने कल रात को जम्मू कश्मीर सार्वजनिक संपत्ति (नुकसान से बचाव और रोकथाम संशोधन) अध्यादेश 2017 का प्रवर्तन कर इसमें निजी संपत्ति को भी शामिल करते हुए दोषियों के प्रति कानूनी प्रावधानों को कठोर कर दिया है।
 
राज्यपाल द्वारा जारी अध्यादेश मौजूदा कानून को और ज्यादा प्रभावकारी बनाने के साथ शरारती तत्वों व संगठनों की विध्वंसकारी गतिविधियों जिससे सार्वजनिक व निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचता है, पर रोक लगाने के इरादे से ही लाया गया है। इसके अलावा मौजूदा कानून में संशोधन सर्वोच्च न्यायालय रि-डिस्ट्रक्शन ऑफ पब्लिक एंड प्राइवेट प्रापर्टी बनाम स्टेट ऑफ आंध्रप्रदेश व अन्य (2009) में जारी निर्देशों के क्रियान्वयन को यकीनी बनाने के लिए किया गया है।
 
इस अध्यादेश से दो लक्ष्य प्राप्त होंगे। पहला, किसी भी सार्वजनिक व निजी संपत्ति को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाने का प्रयास दंडनीय होगा। दूसरा, जो भी व्यक्ति इस तरह की हरकत करेगा या कराएगा, के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। नतीजतन जो भी हड़तालों, प्रदर्शनों या विरोध के अन्य सार्वजनिक रूपों के रूप में प्रत्यक्ष कार्रवाई की घोषणा करता है, जिसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा सकता है, उन्हें दो से पांच वर्ष तक कारावास की सजा दी जा सकती है और उन क्षतिग्रस्त या नष्ट हुई संपत्ति के बाजार मूल्य के बराबर जुर्माना लगाया जा सकता है। 
 
इसके अलावा मौजूदा कानून का दायरा जो पहले ही सार्वजनिक संपत्ति तक सीमित था, मुख्य रूप से सरकार के स्वामित्व वाली सरकारी संपत्ति या संस्थाओं को भी निजी संपत्ति में शामिल करने के लिए विस्तार दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य में मौजूदा कानून सिर्फ सरकारी संपत्ति तक सीमित था, जिसका दायरा इस अध्यादेश के जरिए निजी संपत्ति तक बढ़ाया गया है।
 
उन्होंने बताया कि इस समय राज्य विधानमंडल का अधिवेशन नहीं चल रहा है। इसलिए मुख्यमंत्री की सिफारिश पर राज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर संविधान की धारा 91 के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए तत्काल प्रभाव से यह अध्यादेश लागू किया है।
ये भी पढ़ें
कश्मीर में पुलिसवाला बना लश्कर आतंकवादी