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Written By Author सुरेश एस डुग्गर
Last Updated : शनिवार, 14 जुलाई 2018 (18:33 IST)

जम्मू-कश्मीर में नेताओं से छिनेगी सुरक्षा

जम्मू-कश्मीर में नेताओं से छिनेगी सुरक्षा - Jammu Kashmir, PDP, BJP politicians security
जम्मू। जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा सरकार गिरने के बाद अब विधायकों और नेताओं को दी गई सुरक्षा वापस लेने की तैयारी की जा रही है। राज्यपाल शासन लागू होने के चलते सभी एमएलए और एमएलसी की अतिरिक्त सुरक्षा वापस लेने का आदेश जारी हुआ है। इतना जरूर था कि विधायकों का स्टेटस बरबरार रखते हुए उन्हें उसके मुताबिक सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
 
 
जम्मू जोन के आईजीपी एसडी सिंह जम्वाल ने यह आदेश जारी करते हुए कहा कि राज्यपाल शासन लागू होने के कारण राज्य के सभी एमएलए और एमएलसी को प्राप्त सुरक्षा की समीक्षा के बाद यह फैसला किया गया है कि इन सभी को निर्धारित मानकों के अतिरिक्त जो भी सुरक्षा मिली हुई है उसे हटा लिया जाएगा। इस संबंध में सभी जिलों के एसएसपी इन एमएलए और एमएलसी के अतिरिक्त एस्कॉर्ट, पीएसओ व गार्ड को वापस बुलाएं और इसकी रिपोर्ट जोनल पुलिस हेडक्वार्टर को दो दिन में सौंपें।
 
इसके पीछे तर्क दिया गया है कि जम्मू-कश्मीर में अब राज्यपाल शासन लागू है और अब कोई मंत्री नहीं है और न ही कोई विधानसभा या विधान परिषद है। ऐसे में नेता सिक्योरिटी का दावा नहीं कर सकते हैं। वहीं इस आदेश पर नेताओं ने कड़ी आपत्ति जताई है और इस मामले को केंद्र सरकार के सामने उठाने का फैसला किया है।
 
आदेश में कहा गया है कि इस मामले को एसएसपी निजी तौर पर देखें और सख्ती से इसका पालन करें। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष की सुरक्षा को हटाया नहीं जाएगा। पुलिस हेडक्वार्टर के सिक्योरिटी विंग द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुसार स्पीकर को सुरक्षा मुहैया होगी। ऐसा आदेश पहली बार हुआ है, जब राज्यपाल शासन के दौरान एमएलए, एमएलसी की सुरक्षा वापस ली गई हो। चूं‍कि विधानसभा भंग नहीं हुई है इसी कारण से विधायकों का स्टेटस बरकरार है।
 
अभी प्रदेश के कई एमएलए और एमएलसी ने निर्धारित मापदंड के विपरीत जाकर अपने रुतबे और सरकार में रहने का दबदबा दिखाते हुए एस्कॉर्ट सहित भारी सुरक्षा ले रखी है। नियम के अनुसार एक विधायक के पास एक पीएसओ और एक गनर की अनुमति होती है। ऐसे में अब सभी विधायकों की अतिरिक्त सुरक्षा तत्काल वापस ली जाएगी।
 
हालांकि जम्मू-कश्मीर के पूर्व डिप्टी सीएम कवीन्द्र गुप्ता का सिक्योरिटी की समीक्षा के आदेश पर कहना था कि जब अलगाववादियों को सुरक्षा मिल रही है, तो ऐसे में राजनीतिक लोगों की, जो अभी जीते हैं, उनकी सुरक्षा की समीक्षा किए जाने का फैसला बिलकुल गलत है।
 
कवीन्द्र गुप्ता ने सुरक्षा हटाने के फैसले के पीछे किसी साजिश की भी आशंका जाहिर की है। यही वजह है कि नेताओं ने इस मुद्दे को गृहमंत्री राजनाथ सिंह के सामने उठाने का फैसला किया है, ताकि सुरक्षा समीक्षा के फैसले पर पुनर्विचार किया जा सके। कवीन्द्र गुप्ता ने यह भी कहा कि वे गृहमंत्री से यह भी मांग करेंगे कि सभी नेताओं और अलगाववादियों को कितनी सुरक्षा दी गई है, उसका सार्वजनिक तौर पर खुलासा किया जाए।