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Written By Author सुरेश डुग्गर
Last Modified: जम्मू , मंगलवार, 25 अक्टूबर 2016 (18:46 IST)

अब जम्मू में लगेगा 'दरबार', कहीं खुशी तो कहीं गम

अब जम्मू में लगेगा 'दरबार', कहीं खुशी तो कहीं गम - Jammu and Kashmir, Jammu court
जम्मू। ‘दरबार मूव’ अर्थात राजधानी स्थानांतरण से राज्य में कहीं खुशी और कहीं गम का माहौल है। खुशी उन सरकारी कर्मचारियों तथा अधिकारियों को है जो जम्मू के रहने वाले हैं और गम उनको जो कश्मीर संभाग के हैं क्योंकि अब 6 महीनों तक उन्हें अलग माहौल में रहना पड़ेगा।
देश में जम्मू कश्मीर एक ऐसा राज्य है, जहां 138 सालों से गर्मियों और सर्दियों में राजधानी बदलने की प्रक्रिया चल रही है और इसे ‘दरबार मूव’ कहा जाता है। इस बार 27 अक्टूबर को श्रीनगर में ‘दरबार’ बंद होगा और 7 नवम्बर को जम्मू में यह खुलने जा रहा है। दरबार के तहत नागरिक सचिवालय के सभी कार्यालय साथ साथ चलते हैं।
 
यही कारण है कि नागरिक सचिवालय के कर्मचारियों और अधिकारियों में खुशी और गम का माहौल है तो ऐसी ही खुशी व गम जम्मू व श्रीनगर के लोगों को है। जम्मू के लोगों की खुशी इस बात की है कि दरबार आने से बिजनेस बढ़ता है और बिजली की आपूर्ति सही हो जाती है। तो श्रीनगर के लोगों को गम इस बात का है कि बिजली आपूर्ति अब अनियमित हो जाएगी तथा बिजनेस कम हो जाएगा।
 
वैसे एक अन्य खुशी और गम इस बात का है कि जिन लोगों को सचिवालय में काम करवाने होते हैं ऐसे कश्मीरवासियों को अब जम्मू जाना पड़ेगा। गर्मियों में जम्मूवासियों को श्रीनगर जाना पड़ता था। लेकिन इतना जरूर है कि दरबार के जम्मू चले जाने से कश्मीरवासी सुरक्षा के नाम पर तंग किए जाने के माहौल से अब कुछ महीनों के लिए राहत पाएंगे और इससे अब जम्मूवासियों को दो चार होना पड़ेगा।
 
सालों से चली आ रही यह परम्परा जम्मू कश्मीर को प्रतिवर्ष कम से कम 100 करोड़ की चपत लगा देती है, लेकिन बावजूद इसके ब्रिटिशकाल से चली आ रही इस परंपरा से मुक्ति इसलिए नहीं मिल पाई है क्योंकि इस संवेदनशील मुद्दे को हाथ लगाने से सभी सरकारें डरती रही हैं। राजधानी बदलने की प्रक्रिया ‘दरबार मूव’ के नाम से जानी जाती है। यह ब्रिटिश शासन काल से चली आ रही है।
 
याद रहे राज्य में हर छह महीने के बाद राजधानी बदल जाती है। गर्मियों में इसे श्रीनगर के राजधानी शहर में ले जाया जाता है और फिर सर्दियों की शुरुआत के साथ ही यह जम्मू में आ जाती है। इस राजधानी बदलने की प्रक्रिया को ‘दरबार मूव’ कहा जाता है जिसके तहत सिर्फ राजधानियां ही नहीं बदलती हैं बल्कि नागरिक सचिवालय, विधानसभा और मंत्रालयों का स्थान भी बदल जाता है।
 
राजधानी बदले जाने की प्रक्रिया ‘दरबार मूव’ के नाम से जानी जाती है जो ब्रिटिश शासन काल से चली आ रही है लेकिन जबसे आतंकवाद के भयानक साए ने धरती के स्वर्ग को अपनी चपेट में लिया है तभी से इस प्रक्रिया के विरोध में स्वर भी उठने लगे हैं, लेकिन फिलहाल इस प्रक्रिया को रोका नहीं गया है और यह अनवरत रूप से जारी है। 
 
सर्वप्रथम 1990 में उस समय इस प्रक्रिया का विरोध ‘दरबार मूव’ के जम्मू से संबंद्ध कर्मचारियों ने किया था जब कश्मीर में आतंकवाद अपने चरमोत्कर्ष पर था और तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन के निर्देशानुसार आतंकवाद की कमर तोड़ने का अभियान जोरों पर था, लेकिन सुरक्षा संबंधी आश्वासन दिए जाने के उपरांत ही सभी श्रीनगर जाने को तैयार हुए थे। हालांकि यह बात अलग है कि आज भी सुरक्षा उन्हें नहीं मिल पाई है और असुरक्षा की भावना आज भी उनमें पाई जाती है।
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