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Last Modified: मंगलवार, 4 अप्रैल 2017 (13:16 IST)

अजमेर दरगाह के दीवान बोले, गोहत्या पर लगे प्रतिबंध

अजमेर दरगाह के दीवान बोले, गोहत्या पर लगे प्रतिबंध - Heads of Sufi shrines gather at Ajmer Dargah, seek ban on beef
जयपुर। अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा कि दो समुदायों के बीच पनप रहे वैमनस्य को रोकने के लिए सरकार को सभी तरह के गौवंश के वध और इनके मांस की बिक्री पर प्रतिबंध कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुसलमान को भी इनके वध से खुद को दूर रहकर इसके सेवन को त्यागने की पहल करनी चाहिए। 
 
दरगाह दीवान ख्वाजा के 805 वें उर्स में पंरपरागत रूप से आयोजित होने वाली महफिल के बाद वार्षिक सभा में देश के विभिन्न दरगाहों के सज्जादगान, सूफियों, एवं धर्म प्रमुखों, को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गौवश की प्रजातियों के मांस को लेकर मुल्क में सैकड़ों साल से जिस गंगा-जमुनी तहजीब से हिन्दू और मुसलमानों के बीच भाईचारे के माहौल को ठेस पहुंची है।
 
उन्होने कहा कि इस सद्भावना को फिर से बहाल करने के लिए मुसलमानों को विवाद की जड़ को ही खत्म करने की पहल करते हुए गौमांस के सेवन को त्याग देना चाहिए।
 
दरगाह दीवान ने गुजरात में गाय के वध पर उम्रकैद की सजा के निर्णय का स्वागत किया और कहा कि केन्द्र सरकार को पूरे देश में गौवंश की सभी प्रजातियों के संरक्षण के लिए यह कानून पूरे देश में लागू करना चाहिए और गाय को राष्ट्रीय पशु की घोषित कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर उद्देश्य सिर्फ गाय को बचाना है क्योंकि वो हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है तो ये सिर्फ सरकार का नहीं बल्कि हर धर्म को मानने वाले का कर्तव्य है कि वो अपने धर्म के बताऐ रास्ते पर चलकर इनकी रक्षा करे। 
 
दरगाह दीवान ने इस्लामी शरीयत के हवाले से कहा कि इस्लाम में शादी दो व्यक्तियों के बीच एक सामाजिक करार माना गया है। इस करार की साफ-साफ शर्तें निकाहनामा में दर्ज होनी चाहिए। कुरान में तलाक को अति अवांछनीय बताया गया है। उन्होंने कहा कि एक बार में तीन तलाक का तरीका आज के समय में अप्रासंगिक ही नहीं, खुद पवित्र कुरान की भावनाओं के विपरीत भी है। जब निकाह लड़के और लड़की दोनों की रजामंदी से होता है, तो तलाक मामले में कम से कम स्त्री के साथ विस्तृत संवाद भी निश्चित तौर पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि निकाह जब दोनों के परिवारों की उपस्थिति में होता है तो तलाक एकांत में क्यों?
 
दरगाह दीवान आबेदीन ने तीन तलाक पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि तीन तलाक का प्रचलित तरीका कुरान की भावनाओं के खिलाफ है। एक बार तीन तलाक का तरीका आज के समय में अप्रासंगिक ही नहीं, खुद पवित्र कुरान की भावनाओं के विपरीत है। क्षणिक भावावेश से बचने के लिए तीन तलाक के बीच अंतराल जरूर होना चाहिए।
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