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Written By निष्ठा पांडे
Last Updated : गुरुवार, 21 जनवरी 2021 (20:37 IST)

हरिद्वार कुंभ की तारीख करीब आते ही विवाद भी आने लगे हैं सामने

हरिद्वार कुंभ की तारीख करीब आते ही विवाद भी आने लगे हैं सामने - Haridwar Mahakumbh
हरिद्वार। ज्यों-ज्यों हरिद्वार कुंभ की तारीखें नजदीक आ रही हैं कुंभ और कुंभ के अखाड़ों को लेकर कुछ विवाद भी सामने आने लगे हैं। एक विवाद कुंभ को लेकर हरिद्वार में यह खड़ा हो गया है कि सरकार द्वारा कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य बता रही है, जबकि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।
 
गिरि का कहना है कि कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करना संभव नहीं है, क्योंकि करोड़ों लोग कुंभ में आते हैं। कुंभ में आने वाला भगवान है क्योंकि हम उसे ईश्वरीय निमंत्रण दे रहे हैं। इसलिए क्या हम भगवान से कहें कि वह रजिस्ट्रेशन करवाकर आएं। 
 
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि का कहना है कि कुंभ में आने वाले श्रद्धालु कोरोना गाइडलाइन का पालन करें, लेकिन रजिस्ट्रेशन असंभव है। उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक इसका जवाब इस तरह देते हैं कि रजिस्ट्रेशन को जनरल नहीं किया है, सिर्फ कुंभ स्नान पर किया गया है। जब कुंभ का प्रमुख पर्व होगा, सिर्फ उसके लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है, क्योंकि हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है कि कुंभ में आप कोरोना से बचाव के लिए क्या क्या कर रहे हैं? इसलिए इसकी आवश्यकता पड़ रही है।

निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर पद को लेकर भी इन दिनों कुंभ नगरी में एक और विवाद जारी है। निरंजनी अखाड़े ने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी प्रज्ञानानंद को पद और अखाड़े से निष्कासित कर दिया है। उन्होंने स्वामी कैलाशानंद के आचार्य महामंडलेश्वर पद पर मकर संक्रांति को प्रस्तावित पट्टाभिषेक का विरोध करते हुए इसके खिलाफ न्यालय की शरण लेने की बात कही थी। पद से हटाए जाने के बाद स्वामी प्रज्ञानानंद ने अखाड़े की करवाई को अवैध बताते हुए कानूनी कार्रवाई की बात कही है। 
 
पिछले दिनी ही निरंजनी अखाड़े ने अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी को अपना आचार्य महामंडलेश्वर बनाने की घोषणा की थी। कैलाशानंद को अग्नि अखाड़ा छोड़कर पहले निरंजनी अखाड़े में संन्यास की दीक्षा देकर ब्रह्मचारी से संन्यासी बनाया गया। 14 जनवरी को उनका आचार्य महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक घोषित कर दिया गया।
 
इस घोषणा से अखाड़े में विवाद पैदा हो गया। अखाड़े के पहले से ही नियुक्त आचार्य प्रज्ञानानंद ने उनके आचार्य पद पर रहते किसी अन्य को आचार्य बनाए जाने को गलत बता दिया। इसी के चलते अखाड़े ने उन्हें आचार्य महामंडलेश्वर पद से ही हटाने की घोषणा कर दी।
 
निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि दो साल पहले प्रज्ञानानंद को आचार्य महामंडलेश्वर बनाया गया था। उनका आचरण अखाड़े की परंपरा के अनुरूप नहीं रहा और वह कभी अखाड़े तक में नही आए। इसीलिए उन्हें पद और अखाड़े दोनों से निष्कासित किया गया। दूसरी ओर, प्रज्ञानानंद ने अखाड़े के सभी आरोपों को गलत बताते हुए उन्हें आचार्य पद और अखाड़े से निष्कासित किए जाने को गलत बताया।
 
उन्होंने कहा कि मुझे पूर्ण विधिविधान के साथ संत समाज और शंकराचार्य जी की मौजूदगी में आचार्य महामंडलेश्वर पद पर नियुक्त किया गया था। उन्होंने कहा कि अखाड़े को उन्हें नियुक्त करने का अधिकार तो है मगर उन्हें हटाने का कोई अधिकार नही हैं। इस सब के खिलाफ वे कानूनी मदद लेंगे।

दूसरी तरफ अब हरिद्वार कुंभ को भव्य और सुंदर किस तरीके से बनाया जा सके, इसको लेकर राज्य सरकार के मंत्री और अधिकारी साधु-संतों के साथ चर्चा भी करने में जुटे हैं आज शहरीय विकास मंत्री मदन कौशिक ने कनखल स्थित शंकराचार्य मठ पहुंचकर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से मुलाकात कर उनसे इस बावत चर्चा की।
संक्रांति पर्व स्नान को लेकर मेला क्षेत्र को 20 सेक्टर में बांटा : मकर संक्रांति स्नान पर्व को होने वाले स्नान को लेकर मेला पुलिस ने सुरक्षा-व्यवस्था की दृष्टि से मेला क्षेत्र को सात जोन और 20 सेक्टर (एक जीआरपी सेक्टर सहित) में बांटा है। प्रत्येक जोन में प्रभारी अधिकारी के रूप में अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) और सेक्टरों में सीओ स्तर के अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। मकर संक्रांति स्नान के लिए 5 कंपनी अर्धसैनिक और 8 कंपनी पीएसी की तैनाती की गई है। इसके अलावा बम निरोधक दस्ता, डॉग स्क्वायड, एसडीआरएफ और जल पुलिस को तैनात करने के साथ ही मंगलवार (12 जनवरी) से भारी वाहनों का प्रवेश शहर में प्रतिबंधित कर दिया है।