गुलबर्ग मामला: एहसान जाफरी के गोली चलाने से भड़की थी भीड़...
अहमदाबाद। गुजरात की गुलबर्ग सोसायटी में 2002 में हुए नरसंहार में षड्यंत्र के किसी भी पहलू से इंकार करते हुए विशेष अदालत ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी द्वारा चलाई गई गोलियों ने भीड़ को उकसाया और वह गुस्सा हो गई जिसके कारण उन्होंने इस तरह हत्याएं कीं, लेकिन गोलीबारी के कारण भीड़ की इस करतूत को माफ नहीं किया जा सकता है।
विशेष एसआईटी अदालत के न्यायाधीश पीबी देसाई ने अपने आदेश में कहा कि एहसान जाफरी की निजी गोलीबारी ने उत्प्रेरक का काम किया और उसने भीड़ को इस कदर उकसा दिया कि उपलब्ध सीमित पुलिस बल के पास ऐसी भीड़ को रोकने का कोई उपाय नहीं था।
गोलीबारी की घटना के बाद वहां बड़ी संख्या में भीड़ जमा हो गई। जाफरी की बंदूक से 8 गोलियां चलीं, उनसे 1 व्यक्ति की मौत हो गई और 15 लोग घायल हो गए।
अदालत ने कहा कि एहसान जाफरी गुलबर्ग सोसायटी में एक अलग जगह से भीड़ पर गोली चलाने के दोषी हैं जिसके कारण एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। मेरे विचार में वह उत्प्रेरक था जिसने भीड़ को इस कदर उकसा दिया कि वह अनियंत्रित हो गई और उसके कारण हत्याएं हुईं, बड़ी संख्या में मासूमों की जान गई।
घटना में षड्यंत्र के पहलू से इंकार करते हुए अदालत ने कहा कि यह अप्राकृतिक है कि 28 फरवरी 2002 को सुबह 9.30 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक कोई बड़ी अप्रिय घटना नहीं हुई और 1.30 बजे के बाद अचानक चीजें बहुत खराब हो गईं, जैसे कोई नल खोल दिया गया हो जिसके कारण पानी की बाढ़ आ गई और नरसंहार का कांड हुआ।
अदालत ने कहा कि इन तथ्यों से किसी भी प्रकार से भीड़ ने जो किया उसकी कोई माफी नहीं हो सकती है। (भाषा)