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Last Updated : बुधवार, 19 अगस्त 2020 (12:38 IST)

गंगा नदी में उफान, डूबते शहर और गांव

गंगा नदी में उफान, डूबते शहर और गांव - Ganga river floods due to heavy rains
जीवनदायिनी गंगा ने इन दिनों विकराल रूप धारण करके अपने तटवर्ती इलाकों में कहर बरपा रखा है। झमाझम बारिश के चलते प्रदेशभर की नदियां उफान पर हैं। गंगा का यह रौद्र रूप पूर्ववर्ती क्षेत्रों में ज्यादा देखने को मिल रहा है। यह नजारा है शाहजहांपुर की गंगा नदी के कहर का। गंगा नदी का जल स्तर बढ़ जाने से कलाना तहसील के करीब एक दर्जन गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। सड़कों पर चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है, जिसके चलते खेतों में खड़ी धान, शकरकंद व तिलहन की हजारों बीघा फसलें नष्ट हो गई हैं।

बाढ़ के अवरोध का ग्रामीणों को सामना करना पड़ रहा है, गांव का संपर्क मांग टूटने से ग्रामीणों को आवागमन में समस्या पैदा हो गई है। बाढ़ की चपेट में आए ग्रामीणों के घरों में चूल्हा नहीं जल पा रहा, वहीं जानवरों के चारे की भी दिक्कत आ रही है। पिछले चार दिनों से प्रभावित सभी क्षेत्रों में प्रशासन की मदद भी सुचारू रूप से नहीं पहुंच पा रही है। हालांकि प्रशासन हरसंभव कोशिश कर रहा है कि बाढ़ प्रभावित गांवों में खाने के पैकेट पहुंच सकें।

कोरोना के चलते इस बार काश्तकार वैसे ही परेशान था, उस पर बारिश के कहर ने रही-सही कसर पूरी कर दी। खेतों में धान, तिलहन की हजारों बीघा फसल नष्ट हो गई। गंगा नदी का जल स्तर बढ़ने से पानी सड़कों पर आ गया है जिसे देखकर लगता है कि ये कोई सड़क नहीं बल्कि टापू है।

शाहजहांपुर जिले से ढाई घाट की तरफ जाने वाली सड़कें टापू में तब्दील हो हैं गई हैं। बाढ़ से सड़क और नदी मैं कोई फर्क नहीं दिखाई पड़ रहा है। सड़कों पर जरूरी काम से निकले लोग अपनी जान हथेली पर रखकर निकल रहे हैं। बारिश से यह स्थिति केवल शाहजहांपुर की नहीं है, अमूमन जहां से नदियां या उपनदियां आ रही हैं, उसी शहर का है।

कासगंज जनपद की पटियाली तहसील क्षेत्र में गंगा तराई इलाके में बसे तटवर्ती गांव में भी पानी प्रवेश कर गया है, खेतों में खड़ी फसलें प्रभावित हुई हैं तो वहीं पटियाली तहसील के 4 गांवों के संपर्क मार्ग पानी के तेज बहाव में मुख्य मार्गों से कट गए हैं। गांव में बने घरों में पानी घुस गया है। पटियाली तहसील के हिम्मतपुर बझेरा, कादरगंज खाम, उलाई खेड़ा अजीत नगर, नगला फतुआबाद समेत कई गांव में आने जाने का रास्ता भी बंद हो गया है।

बुलंदशहर के राजघाट पर बना एक मकान भी गंगा में धीरे-धीरे समा रहा है। गंगा के बढ़ते कटान को देखते हुए गंगा के तटीय क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा और मंडराने लगा हैं। गंगा तट पर मकान के पानी में समाहित होने पर स्थानीय प्रशासन का कहना है कि गंगा किनारे बगैर परमिशन अवैध रूप से बनाए गए हैं, भवन स्वामी को नोटिस भेजा जा चुका था, लेकिन उन्होंने खाली नहीं किया।

गंगा नदी में बिजनौर बांध और नरौरा बैराज से छोड़ा गया पानी पटियाली तहसील के तराई इलाके के लिए बर्बादी का सबब बन गया है। जैसे-जैसे गंगा नदी अपने रौद्र रूप में पहुंच रही है इन तटवर्ती गांव में बसे लोगों के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभरती जा रही हैं।

यही स्थित मेरठ जिले में स्थित हस्तिनापुर और मवाना क्षेत्र की है। यहां से बूढ़ी गंगा बहती है, बारिश में हर साल लगभग दो दर्जनों गांवों में तबाही का मंजर सामने आता है। यहां गंगा के तटों पर गांव बसे हैं, लोगों ने खेती-बाड़ी कर रखी है।

तटवर्ती इलाकों में बाढ़ का खतरा हर साल मंडराता है, शासन-प्रशासन बाढ़ रोकने के लिए तटबंध और अन्य इंतजामों की बात तो करता है, लेकिन उन्हें अमलीजामा नहीं पहना पाता है। बारिश से पहले जो इंतजाम होने चाहिए थे, वो जमीनी हकीकत पर कहीं दिखाई नहीं देते।