लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने वेबसाइट बनाकर धोखाधड़ी करके वाली आई-मैक्स ऑटो इन्श्योरेन्स कंपनी का पर्दाफाश करते हुए उसके संचालक को गिरफ्तार किया है।
एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने बताया कि फर्जी ऑटो इन्श्योरेन्स कंपनी का पर्दाफाश करते हुए उसके संचालक जितेन्द्र प्रताप सिंह को लखनऊ के गाजीपुर इलाके में स्थित उसके कार्यालय गिरफ्तार किया। उसके पास से एक डीड ऑफ पार्टनरशिप के अलावा 152 आईसीआईसीआई लोमबार्ड संबंधी फर्जी ऑटो पॉलिसी, आई-मैक्स एजेंटों की सूची, रसीद बुक, प्रपोजल फार्म जारी करने की गई जिलाधिकारी, श्रावस्ती को आई-मैक्स ऑटो इन्श्योरेन्स द्वारा विभिन्न योजनाओं में दुपहिया वाहनो के बीमा कराने का अनुरोध-पत्र, लेपटॉप और मोबाइल फोन भी बरामद किया। उन्होंने बताया कि संभवत: यह देश की पहली फर्जी ऑटो इन्श्योरेंश कंपनी पकड़ी गई, जो कई साल से धोखाधडी करके बीमा कर रही थी।
उन्होंने बताया कि मैक्स ऑटो इन्श्योरेन्स कंपनी के प्रतिनिधि द्वारा ऑटोमोबाइल के इन्श्योरेन्स में कतिपय गड़बड़ियों के संबंध में एक लिखित प्रत्यावेदन दिया गया था। उन्होंने इस सूचना को विकसित कर आवश्यक कार्रवाई करने के लिए अपर पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी को निर्देशित किया था।
सिंह ने बताया कि डॉ. चतुर्वेदी ने बीमा कंपनी के प्रतिनिधि से विस्तृत बातचीत कर केस के तथ्यों को समझा और पाया कि आईआरडीए सभी प्रकार के इन्श्योरेन्स बिजनेस को नियंत्रित करती है। आईआरडीए के पास सभी इन्श्योरेन्स कम्पनियों के लिए कार्यरत एजेन्टों का पूर्ण विवरण उपलब्ध रहता है।
सिंह ने बताया कि इस परिप्रेक्ष्य में कंपनी प्रतिनिधि ने बताया कि लखनऊ स्थित एक कम्पनी बगैर उपयुक्त प्राधिकार के गोंडा, बहराइच और श्रावस्ती आदि स्थानों में कूटरचित इन्श्योरेन्स पॉलिसी बेच रही है। प्रतिनिधि ने यह भी सूचना दी कि उक्त कम्पनी चार सरकारी और छह प्राईवेट इन्श्योरेन्स कम्पनियों की पॉलिसियां फर्जी तरीके से बाजार में बेच रही हैं।
उन्होंने बताया कि डॉ. चतुर्वेदी ने इस संबंध में उस बीमा कंपनी के बारे में पुख्ता सूचना एकत्र करने के लिए साइबर थाना प्रभारी निरीक्षक आई0पी0 सिंह को निर्देशित किया था। सिंह ने जानकारी प्राप्त की कि आई-मैक्स इन्श्योरेन्स कंपनी का प्रोपराइटर जितेन्द्र प्रताप सिंह है, जो अपने एक पार्टनर के साथ उस कम्पनी के माध्यम से विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में ऑटो इन्श्योरेन्स की थर्ड पार्टी इन्श्योरेन्स पॉलिसी बेचता है।
उन्होंने बताया कि इस फर्जीवाड़े के लिए उसने एक वेबसाइट बना रखी है, जिसमें उसके एजेंटों को लॉगिन आईडी एवं पासवर्ड दिया गया है। एजेन्टों द्वारा यूजर आईडी पासवर्ड से लॉगइन करने के बाद सभी 10 इन्श्योरेन्स कम्पनियों की पॉलिसियां निर्गत कर सकते थे और उपभोक्ताओं से नकद धनराशि लेकर कंपनी में जमा कर देने की व्यवस्था थी। कंपनी के प्रतिनिधि द्वारा उपलब्ध कराई गई पॉलिसी के सत्यापन पर ज्ञात हुआ कि उस नम्बर की कोई पॉलिसी आईसीआईसी लोमबार्ड में पंजीकृत नही है।
अभियुक्त जितेन्द्र प्रताप सिंह ने पूछताछ पर बताया कि वह पूर्व में लखनऊ में एक इन्श्योरेन्स ब्रोकर के आफिस में कार्य करता था, जहां उसे अपने एक साथी से मालूम हुआ कि उस ऑफिस में कूटरचित ऑटो इन्श्योरेन्स पॉलिसी तैयार की जाती थी। वहां से काम छोड़ने के बाद जितेन्द्र प्रताप ने एक इन्श्योरेन्स कम्पनी में कुछ दिन नौकरी की लेकिन इसकी सन्देहास्पद गतिविधियों के कारण कम्पनी द्वारा इसे हटा दिया गया।
शातिर दिमाग जितेन्द्र ने बिजनेस सोलूशन के नाम से एक आफिस खोला और आई-मैक्स ऑटो इन्श्योरेन्स कम्पनी खोली। जितेन्द्र ने बताया कि उसने कम्पनी का एक व्यक्ति गो डेडी डाट कॉम पर पोस्ट किया। एक प्राईवेट साफ्टवेयर डवलपर से इन्श्योरेन्स एजेन्ट्स के मैनेजमेन्ट का साफ्टवेयर विकसित कराया और फिर गोंडा, बहराइच तथा श्रावस्ती क्षेत्र में काम करने के इच्छुक इन्श्योरेन्स एजेन्ट पंजीकृत किए। ऐसे एजेंटों को यूजरनेम पासवर्ड दिया और वेबसाइट पर जाने पर 04 सरकारी व 06 प्राईवेट कम्पनियों की पॉलिसी निर्गत करने का ऑप्शन दिया।
सिंह ने बताया कि इस कंपनी के लगभग 80 एजेंट वर्ष-2014 से इस क्षेत्रों में नई या पुरानी पॉलिसी का रिन्युवल कर रहे हैं और प्रिमियम के पैसे कमिशन काटने के बाद जितेन्द्र प्रताप को मिलता रहा। पूछताछ पर जितेन्द्र प्रताप सिंह ने स्वीकार किया कि निर्गत की गई सभी पॉलिसियां फर्जी हैं। शेष कम्पनियों के कुछ एजेंट भी उसके साथ कार्य कर रहे थे। इसलिए उनकी कुछ पॉलिसियां सही हो सकती हैं लेकिन उनके पोर्टल के माध्यम से निर्गत की गई सभी पॉलिसियां कूटरचित हैं। जितेन्द्र ने यह भी बताया कि उसने सरकारी इन्श्योरेन्स कम्पनियों जैसे नेशनल, ऑरियन्ट, न्यू इंडिया और यूनाइटेड इन्श्योरेन्स आदि कई कंपनियों की कूटरचित पॉलिसयां बाजार में बेची हैं।
एक साथ 10 कंपनियों के साथ धोखाधड़ी करने के बारे में पूछे जाने पर उसने बताया कि वह जानबूझकर थर्ड पार्टी इन्श्योरेन्स कराने पर ही जोर देता था क्योंकि मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार किसी भी वाहन स्वामी के पास न्यूनतम थर्ड पार्टी इन्श्योरेन्स होना चाहिए। (वार्ता)