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Last Updated : सोमवार, 18 नवंबर 2019 (22:30 IST)

अपने आचरण और व्यवहार से विद्यार्थियों के लिए आदर्श बनें शिक्षक

अपने आचरण और व्यवहार से विद्यार्थियों के लिए आदर्श बनें शिक्षक - Dr. Ashok Kumar Bhargava
रीवा। राष्ट्र की सबसे अनमोल धरोहर हमारे बच्चे हैं। बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए शिक्षक अपनी अहम भूमिका का निर्वहन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक अपने आचरण और व्यवहार में परिवर्तन लाकर विद्यार्थियों के लिए आदर्श बन सकते हैं। शिक्षक के आचरण और व्यवहार का विद्यार्थियों पर गहरा असर पड़ता है। यह बात रीवा संभाग के कमिश्नर डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने सतना जिले के उचेहरा विकासखंड में शिक्षा गुणवत्ता संकल्प सह दिवंगत अध्यापक संबल सम्मेलन में कही।
 
इस कार्यक्रम का आयोजन मध्यप्रदेश शासकीय अध्यापक संगठन जिला सतना द्वारा किया गया। कार्यक्रम में कलेक्टर जिला सतना डॉ. सतेन्द्र सिंह, संयुक्त संचालक लोक शिक्षण अंजनी त्रिपाठी विशेष अतिथि थे। 
 
कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि शिक्षक ब्रम्हा, विष्णु और महेश की समन्वित भूमिका का निर्वहन करते हैं। शिक्षक इस राष्ट्र की बगिया के चतुर माली हैं। नन्हें बच्चे राष्ट्र की परमहंस मुस्कान हैं, जिनके लिए ज्ञान सबसे बड़ी उपलब्धि है। शिक्षकों को बच्चों में ज्ञान भरने और उनकी अधूरी कृति को पूरा करने का सौभाग्य मिला है।

उन्होंने कहा कि बुद्धि से समृद्धि पैदा होती है और समस्याओं का मुकाबला साहस से किया जा सकता है। नैतिक मूल्यों के संक्रमण के इस दौर में बच्चों को ज्ञान बांटने और उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए गहन मंथन करने की आवश्यकता है। 
 
उन्होंने कहा कि राष्ट्र के लिए उपयोगी पीढ़ी का निर्माण करना सबसे कठिन काम है। बच्चों के चरित्र का निर्माण शिक्षक ही करते हैं। विद्यार्थियों को कठिन परिश्रम के द्वारा ही सफलता हासिल हो सकती है, जिसके लिए शिक्षक बच्चों का मार्गदर्शन कर्मठता और निष्ठा से करेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी। सकारात्मक मानसिकता से छात्रों के भविष्य को उज्ज्वल बनाया जा सकता है। बच्चों के लिए शिक्षक प्रेरणा स्त्रोत और आदर्श होते हैं।
 
कमिश्नर डॉ. भार्गव ने कहा कि जीवन में धन ही सब कुछ नहीं है। धन के पीछे भागने से अच्छा है कि जीवन को मूल्यवान बनाएं अर्थात हमें अर्थ मिले या न मिले जीवन को अर्थ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चे खुशबुओं के गुलाब हैं, उन्हें गुलाब की तरह खिलने का मौका मिलना चाहिए। अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों पर जबरदस्ती अपने सपनों को न थोपें। बच्चों के साथ वही व्यवहार करना चाहिए जो उन्हें प्रिय है।
कलेक्टर डॉ. सतेन्द्र सिंह ने कहा कि शिक्षकों को भाषण और ज्ञान देने की आवश्यकता नहीं होती है। शिक्षक तो हम सभी को ज्ञान देने का कार्य करते हैं जिसके कारण हम सब नई-नई ऊंचाईयों को छूते हैं। उन्होंने कहा कि सतना जिले में विद्यालयों की हालत सुधारने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। अधोसंरचना विकास के लिए तत्परता से कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विद्यालय में ऐसे वातावरण का निर्माण हो कि बच्चे स्वयं स्कूल आने के लिए प्रेरित हों।
 
कार्यक्रम में दिवंगत अध्यापकों के परिवारजनों को शाल, श्रीफल और 5 हजार रुपए की सहायता राशि से सम्मानित किया गया। शत-प्रतिशत परीक्षा परिणाम लाने वाले शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया। मध्यप्रदेश में हिन्दी ओलंपियाड प्राप्त करने वाले छात्र के शिक्षक को अतिथियों ने सम्मानित किया।

इस अवसर पर एसडीएम सुश्री संस्कृति शर्मा, शासकीय अध्यापक संघ के आरिफ अंजुम, राकेश दुबे, अतुल सिंह सहित अन्य पदाधिकारी और बड़ी संख्या में शिक्षकगण उपस्थित थे। 
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