मंगलवार, 26 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. प्रादेशिक
  4. Constitution Article 35A Legal Challenge
Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: शनिवार, 12 अगस्त 2017 (17:04 IST)

बंद के कारण जम्मू-कश्मीर का जनजीवन प्रभावित

बंद के कारण जम्मू-कश्मीर का जनजीवन प्रभावित - Constitution Article 35A Legal Challenge
श्रीनगर। संविधान के अनुच्छेद 35 ए को कानूनी चुनौती के खिलाफ अलगाववादियों के बंद के कारण आज कश्मीर में जनजीवन प्रभावित हुआ। अलगावादियों ने इस अनुच्छेद को कानूनी चुनौती देने को मुस्लिम बहुसंख्यक जम्मूकश्मीर में आबादी की संरचना को बदलने वाला कदम बताया है।
 
संविधान के अनुच्छेद 35 ए के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर में आवास संबंधी नियमों की व्याख्या की गई है। यह अनुच्छेद किसी भी बाहरी व्यक्ति को राज्य में अचल संपत्ति खरीदने या राज्य सरकार की नौकरियों के लिए आवेदन करने से रोकता है।
 
अधिकारियों ने बताया कि स्कूल, कॉलेज, दुकानें, व्यापारिक प्रतिष्ठान और निजी कार्यालय बंद रहे। उन्होंने बताया कि अधिकांश सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति काफी कम रही। उन्होंने बताया कि कश्मीर के अधिकांश हिस्सों में बस सडक़ों से नदारद रहीं, इक्का-दुक्का निजी वाहन ही नजर आए। अधिकारियों ने पांच थाना क्षेत्रों के अंतर्गत इलाकों में हिंसक विरोध प्रदर्शन की आशंका से लोगों की आवाजाही पर पाबंदी लगा दी।
 
हुरियत कॉन्फ्रेंस के कट्टरपंथी और उदारवादी दोनों धड़े और जम्मूकश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ- ) ने पूर्ण बंद का आह्वान किया था। उन्होंने बताया कि अनुच्छेद 35 ए के खिलाफ याचिका मुस्लिम बहुल राज्य की आबादी की संरचना को बदलने की योजना का हिस्सा है।
 
अलगाववादियों ने बताया कि यह बंद भारतीय बलों के हाथों कश्मीरी लोगों की लगातार की जा रही हत्याओं के विरोध में भी है। पिछले महीने उच्चतम न्यायालय ने अनुच्छेद 35ए को हटाए जाने की मांग को लेकर एक एनजीओ की एक रिट याचिका पर केंद्र से तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा था।
 
याचिका में कहा गया था कि राज्य को विशेष स्वायत्त दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 35 ए और अनुच्छेद 370 की आड़ में राज्य सरकार गैर निवासियों के साथ भेदभाव कर रही है जिनके संपत्ति खरीदने पर रोक है, उन्हें ना तो राज्य सरकार की नौकरी मिल सकती है और ना ही उन्हें स्थानीय चुनावों में मतदान करने का अधिकार है।
ये भी पढ़ें
बैंक के पूर्व शाखा प्रबंधक को चार साल की सजा