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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: श्रीनगर , शनिवार, 9 जुलाई 2016 (18:15 IST)

आतंकियों के लिए इश्क बदलता रहा है मौत में

आतंकियों के लिए इश्क बदलता रहा है मौत में - Burhan Wani, terror, Hizbul Mujahideen,
श्रीनगर। सच ही कहा है गालिब इश्क ने निकम्मा कर दिया वरना हम भी थे आदमी काम के। यह शे’र कश्मीर में सक्रिय उन आतंकियों पर शत-प्रतिशत लागू होता रहा है जो जेहाद छेड़ने की मुहिम में जुटे हैं और अपनी प्रेमिकाओं से मिलने की चाहत में मौत को गले लगाते रहे हैं।
आधिकारिक आंकड़ों पर यकीन करें तो पिछले 26 साल के आतंकवाद के इतिहास में ऐसे बीसियों मामलों में सुरक्षाबल आतंकी कमांडरों और उनके काडर को मार गिराने में उस समय कामयाब हुए जब वे प्रेमिकाओं की गोद में सिर रखकर जन्नत का नजारा लुटने के इरादों से उनसे मिलने आए या फिर अपनी प्रेमिकाओं से बेवफाई के चलते उनकी प्रेमिकाओं ने उनकी मुखबरी कर डाली।
 
ताजा मामला बुरहान वानी का भी है। खुलासा है कि बुरहान अपनी गर्लफ्रेंड की मुखबिरी पर मारा गया। सूत्र बता रहे हैं कि बुरहान ने कई महिलाओं और लड़कियों से संबंध बना रखे थे। सूत्रों का कहना है कि बुरहान से उसकी गर्लफ्रेंड नाराज थी। मोबाइल पर उसकी चौंटिंग भी देख ली थी उसकी गर्लफ्रेड ने। इसके बाद से वह बदला लेना चाहती थी। इसी क्रम में उसने सुरक्षा एजेंसियों को उसके बारे में सटीक जानकारी दे दी थी।
 
वैसे बुरहान का मामला कोई पहला मामला नहीं था, कश्मीर के आतंकवाद के इतिहास में जबकि वह प्रेमिका के कारण मारा गया हो बल्कि कुछ अरसा पहले श्रीनगर के शालीमार एरिया में लश्करे तोइबा के टॉप कमांडर सलमान बट और बांडीपोरा में सैफुल्लाह को भी इश्क में मौत नसीब हुई और अगर जरा गौर करें तो जिस जेहाद का झंडा गाड़ने वे कश्मीर आए हुए थे वह इश्क को हराम कहता है।
 
एक किस्सा काजी मुहम्मद का भी है। बारामुल्ला में उसे उस समय मार गिराया गया जब वह अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए एलओसी को पार कर वापस कश्मीर लौटा था। अंततः वह उस समय मारा गया जब उसकी प्रेमिका उसे मिलने उसके ठिकाने पर गई तो सुरक्षाबल भी साथ ही पहुंच गए। फिलहाल सुरक्षाधिकारी यह बताने को राजी नहीं हैं कि उसकी प्रेमिका का क्या हुआ।
 
अगर सुरक्षाधिकारियों पर विश्वास करें तो काजी मुहम्मद अपनी प्रेमिका से सख्त नाराज भी था, क्योंकि वह युवती उससे मिलने उसके ठिकाने पर नहीं जाना चाहती थी और काजी मुहम्मद के मोबाइल फोन की रिकॉर्डिंग उसके गुस्से को इस प्रकार इजहार करती थी : ‘मैं खतरे मोल एलओसी की बारूदी फिजां को पार कर आया हूं सिर्फ तुम्हारे लिए और तुम दो कदम भी नहीं चल सकती।’
 
इन घटनाओं के बाद सीमा पार बैठे आकाओं ने आतंकियों को हमेशा स्थानीय युवतियों के इश्क में नहीं पड़ने के लिए कहा। इस्लाम का वास्ता भी दिया गया और इसके प्रति भी डराया गया कि सुरक्षाबल युवतियों का इस्तेमाल आतंकी कमांडरों को मरवाने के लिए करते रहे हैं। पर आतंकी कहां मानने वाले। तभी तो किसी ने सच कहा है कि इश्क नचाए जिसको नाच वह नाचे फिर बीच बाजार।
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