गुरुवार, 21 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. प्रादेशिक
  4. Bombay High Court's strong comment on water
Written By
Last Modified: बुधवार, 8 सितम्बर 2021 (18:11 IST)

'पानी' को लेकर बंबई हाईकोर्ट की कड़ी टिप्‍पणी, याचिका पर हुई सुनवाई

'पानी' को लेकर बंबई हाईकोर्ट की कड़ी टिप्‍पणी, याचिका पर हुई सुनवाई - Bombay High Court's strong comment on water
मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि पेयजल की नियमित आपूर्ति मौलिक अधिकार है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोगों को आजादी के 75 साल बाद भी पानी के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है।

न्यायमूर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने पड़ोसी ठाणे जिला के भिवंडी शहर के कांबे गांव के ग्रामीणों की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह कड़ी टिप्पणी की। याचिका में ग्रामीणों ने ठाणे जिला परिषद और भिवंडी निजामपुर नगर निगम के संयुक्त उद्यम एसटीईएम वाटर डिस्ट्रीब्यूशन और इन्फ्रा कंपनी को दैनिक आधार पर पानी की आपूर्ति करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि उन्हें महीने में सिर्फ दो बार पानी आपूर्ति होती है और यह सिर्फ दो घंटे के लिए होता है। स्टेम के प्रबंध निदेशक भाउसाहेब डांगड़े ने बुधवार को अदालत को सूचित किया कि पानी की आपूर्ति रोजाना हो रही है लेकिन यह सिर्फ एक निश्चित जगह होती है और उन्होंने दावा किया कि उस निश्चित जगह से ग्रामीणों को रोजाना पानी की आपूर्ति करने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की है।

डांगड़े ने कहा कि पिछले कुछ साल में गांव में आबादी बढ़ने से पानी की मांग बढ़ी है। उन्होंने कहा, हमें व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत है। इस पर अदालत ने पूछा कि व्यवस्था दुरुस्त होने तक याचिकाकर्ता क्या करें। उच्च न्यायालय ने कहा, रोजाना कम से कम कुछ घंटों के लिए पानी की आपूर्ति करनी होगी।

डांगड़े ने कहा कि यह उनका मौलिक अधिकार है। लोग इस तरह पीड़ित नहीं हो सकते। यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्हें (याचिकाकर्ताओं को) आजादी के 75 साल बाद भी जलापूर्ति के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा है।

पीठ ने कहा, हमें यह कहने के लिए मजबूर नहीं करें कि महाराष्ट्र सरकार अपने नागरिकों को पानी उपलब्ध कराने में विफल रही है। हम यह मानने से इनकार करते हैं कि राज्य सरकार इतनी लाचार है। हम राज्य सरकार के सर्वोच्च पदाधिकारी को बुलाने से नहीं हिचकिचाएंगे।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया था कि एसटीईएम कंपनी स्थानीय नेताओं और टैंकर माफियाओं को अवैध रूप से पानी की आपूर्ति कर रही थी और दावा किया कि मुख्य पाइपलाइन पर 300 से अधिक अवैध पानी के कनेक्शन और वाल्व लगाए गए थे। अदालत ने डांगड़े से यह जानना चाहा कि इन मुद्दों के समाधान के लिए कंपनी क्या कदम उठा रही है।
न्यायमूर्ति कथावाला ने कहा, पहले तो इन अवैध कनेक्शन को हटाएं। आपने (एसटीईएम) पुलिस में कोई शिकायत दर्ज कराने की भी जहमत नहीं उठाई। आपकी निष्क्रियता के कारण याचिकाकर्ताओं को पानी नहीं मिल रहा है जो कि उनका अधिकार है।

हालांकि डांगड़े ने बताया कि जब वे अवैध कनेक्शन को हटाने गए तो 150 से अधिक लोगों का समूह वहां जमा हो गया और उनकी कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन करने लगा। उच्च न्यायाल ने मामले में अगली सुनवाई के लिए बृहस्पतिवार का दिन तय किया और डांगड़े को निर्देश दिया कि वह प्रत्यक्ष रूप से अदालत में उपस्थित हों और हलफनामा दाखिल करें।(भाषा)
ये भी पढ़ें
खत्म हुआ Ola इलेक्ट्रिक स्कूटर का इंतजार, सिर्फ 2999 रुपए की EMI पर ला सकते हैं घर