• Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. प्रादेशिक
  4. BJP questions Uddhav Thakray
Written By
Last Modified: मुंबई , गुरुवार, 23 जून 2016 (14:10 IST)

भाजपा का सवाल, कब तलाक लेगी शिवसेना...

भाजपा का सवाल, कब तलाक लेगी शिवसेना... - BJP questions Uddhav Thakray
मुंबई। शिवसेना और भाजपा के बीच वाकयुद्ध उस वक्त और तेज हो गया, जब भाजपा के एक प्रकाशन में प्रकाशित अपने लेख में एक भाजपा नेता ने उद्धव ठाकरे की पार्टी को 'तलाक' लेने की चुनौती दे दी।
 
भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रकाशन 'मनोगत' में पार्टी के महाराष्ट्र प्रवक्ता माधव भंडारी ने 'आप तलाक कब ले रहे हैं, श्रीमान राउत?' नामक शीर्षक से एक लेख लिखा है। इस लेख में शिवसेना को गठबंधन से अलग होने की चुनौती दी गई है तथा दोनों पार्टियों के कई वर्ष पुराने गठबंधन में भाजपा की ओर से किए गए त्याग का उल्लेख किया गया है। शिवसेना के सांसद संजय राउत के 'निजाम' वाले बयान को लेकर इस लेख में उन पर निशाना साधा गया है।
 
लेख में कहा गया कि एक तरफ वे उसी 'निजाम' के दिए प्लेट में 'बिरयानी' खाते हैं और दूसरी तरफ हमारी आलोचना करते हैं। उनको केंद्र और राज्य में मंत्रालय मिले हुए हैं, उसी 'निजाम' की मदद से सत्ता का सुख भोग रहे हैं और फिर भाजपा को बुरा-भला कहते हैं। इसे कृतघ्नता कहते हैं।
 
भाजपा के प्रकाशन के इस लेख में कहा गया है कि अगर वे 'निजाम' से इतने पीड़ित महसूस करते हैं तो बाहर क्यों नहीं निकल जाते, परंतु वे साहस नहीं दिखाते। राउत ने हाल ही में कहा था कि केंद्र और महाराष्ट्र में भाजपा नीत सरकारें निजाम की सरकार से भी बदतर हैं।
 
भंडारी ने कहा कि 'वे हमारे साथ बैठते हैं, हमारे साथ खाते हैं और फिर हम पर हमले भी करते हैं... बेहतर होगा कि निजाम के पिता से तलाक ले लिया जाए। इसलिए श्रीमान राउत आप तलाक कब ले रहे हैं?' 
 
राउत के कथित पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए लेख में कहा गया है कि राउत को लगता है कि मौजूदा सरकार ने बहुत अन्याय किया है और उनको महाराष्ट्र में 'जलयुक्त शिवार' के माध्यम से किए गए बहुत सारे काम भी दिखाई नहीं दिखाई देते।
 
चुनावों में भाजपा के बेहतर प्रदर्शन का जिक्र करते हुए लेख में कहा गया कि 1995 में भाजपा ने 117 सीटों पर चुनाव लड़ा और 65 जीतीं। 2009 में कम सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद भाजपा ने शिवसेना से अधिक सीटें जीतीं।
 
भंडारी ने कहा कि संजय राउत और शिवसेना पक्ष प्रमुख इस तथ्य को पचा नहीं पा रहे हैं कि उनकी ताकत कम हो रही है और इसीलिए वे परेशान हैं। उनको बदलते राजनीतिक हालात को स्वीकार करना चाहिए और हमें जिम्मेदार ठहराना बंद करना चाहिए।
 
उनके लेख में कहा गया कि हमने औरंगाबाद और कल्याण-डोंबीवली चुनावों में शिवसेना को पीछे छोड़ दिया। मतदाता भाजपा को मजबूत विकल्प के तौर पर मान रहे हैं और यही शिवसेना को सबसे ज्यादा चुभ रहा है।
 
भाजपा के प्रकाशन के इस लेख में आगे कहा गया है कि भाजपा ने कई त्याग किए, जैसे उसने अतीत में पुणे, ठाणे और गुहागढ़ जैसे क्षेत्रों को शिवसेना के लिए छोड़ दिया जबकि इन जगहों से भाजपा चुनाव जीतती थी।
 
अपने लेख का बचाव करते हुए भंडारी ने कहा कि पहले हम ऐसी चीजों को नजरअंदाज कर दिया करते थे लेकिन अब उन्होंने विनम्रता की सारी सीमाएं लांघ दी हैं। हमारे हालिया राज्य सम्मेलन में इस पर चर्चा हुई थी। अब हम उनको सीधे तौर पर बताना चाहते हैं कि अगर उन्हें ठीक नहीं लगता तो वे अपना खुद का रास्ता तलाश लें। (भाषा)
 
ये भी पढ़ें
31 बातें जो आप सुब्रमण्यम स्वामी के बारे में नहीं जानते...