उत्तराखंड सरकार का बड़ा फैसला, आयुर्वेदिक डॉक्टर भी इमरजेंसी में लिख सकेंगे एलोपैथिक दवा
देहरादून। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत ने आयुर्वेदिक चिकित्सकों को भी इमरजेंसी के समय एलोपैथिक दवा लिखने और एलोपैथिक परामर्श देने का अधिकार दे दिया है। राज्य के आयुष मंत्री हरक सिंह रावत ने ये जानकारी दी है।
मुख्यमंत्री ने गुरुकुल कांगड़ी में आयुर्वेदिक कैंसर संस्थान बनाए जाने की घोषणा की है। यह देश का पहला आयुर्वेदिक कैंसर संस्थान होगा। इसके साथ ही सीएम ने मर्म चिकित्सा को भी उत्तराखंड में प्रोत्साहन दिए जाने की घोषणा की है। मर्म चिकित्सा से जुड़े रिसर्च भी किए जाएंगे।
आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय को पुराने वैद्य और जानकारों से रिसर्च कर जड़ी बूटियों पर शोध करने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिए।योग और वेलनेस सेवा के तहत 100 वेलनेस सेंटर बनाने का भी निर्णय मुख्यमंत्री ने लिया है।
इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री तीरथ ने आयुर्वेद विश्वविद्यालय में डिप्लोमा और डिग्री कोर्स शुरू किए जाने की घोषणा भी की। कोटद्वार, चरक डांडा में अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थान के लिए 10 करोड़ रुपए दिए जाने की भी घोषणा की गई।
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि जिला मुख्यालय में 25 बेड के आयुर्वेदिक हॉस्पिटल बनेंगे।तहसील स्तर पर 15 बेड के हॉस्पिटल बनेंगे। हरिद्वार, ऋषिकेश, नैनीताल और गढ़वाल मंडल के होटल्स में पंचकर्म योग केंद्र स्थापित होंगे।
IMA ने किया आयुर्वेद डॉक्टरों को एलोपैथिक दवा लिखने के अधिकार का विरोध : आयुर्वेद चिकित्सकों को एलोपैथिक दवाइयों के परामर्श और लोगों के उपचार को लेकर अनुमति देने की खबरों से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल इसे गलत करार दिया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मामले में कोर्ट जाने की चेतावनी दी है।
योग दिवस पर आयुष मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने मुख्यमंत्री के हवाले से यह बयान दिया है कि आयुर्वेद चिकित्सकों को भी अब राज्य में एलोपैथ परामर्श देने की अनुमति दी गई है। बयान के आते ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इसका विरोध शुरू कर एसोसिएशन के अध्यक्ष डीडी चौधरी ने कहा कि यह घोषणा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है।उन्होंने इस आदेश को कोर्ट में चुनौती देने की बात भी कही।