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Last Modified: मंगलवार, 29 जून 2021 (00:06 IST)

धर्मांतरण मामला : ATS ने गिरफ्तार किए 3 और लोग, विदेशों से होती थी फंडिंग

धर्मांतरण मामला : ATS ने गिरफ्तार किए 3 और लोग, विदेशों से होती थी फंडिंग - ATS arrested 3 more people in the conversion case, funding was from abroad
लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने धर्मांतरण मामले में 3 और लोगों को गिरफ्तार किया है। राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने आज यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मूक-बधिरों की भाषा समझने और उन्हें अपनी भाषा में समझाने वाला इरफान मूक-बधिरों को ऐसा ज्ञान देने लगा था, जिससे कुछ मूक-बधिरों को अपने ही धर्म से नफरत होने लगी थी।

उन्होंने बताया कि इरफान मूक-बधिरों को इस्लाम का ज्ञान देता था और दूसरे धर्मों की बुराइयां करता था। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों में बाल कल्याण मंत्रालय का इंटरप्रेटेटर इरफान ख्वाजा खान और अपना धर्म परिवर्तन कर चुके दो मूक-बधिर राहुल भोला और मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान शामिल हैं। तीनों को दिल्ली व हरियाणा से गिरफ्तार किया गया है।

उन्होंने बताया कि इरफान तरह-तरह के प्रलोभन देकर इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मूक-बधिरों को तैयार करता था। उन्होंने कहा कि इनफान अपने इरादे में कामयाब होने पर दिल्ली के जामिया स्थित इस्लामिक दावा सेंटर जाकर उमर गौतम से मिलकर जहांगीर आलम से धर्मांतरण प्रमाण पत्र बनवाता था।

कुमार ने बताया कि गिरफ्तार राहुल भोला जो खुद भी मूक-बधिर है, वह इरफान के साथ मिलकर मूक-बधिरों को धर्मांतरण के लिए प्रेरित करता था। जांच एजेंसियों का कहना है कि इरफान और राहुल ने मिलकर मन्नू यादव का धर्म परिवर्तन कराया और इन तीनों ने मिलकर आदित्य गुप्ता का धर्म परिवर्तन कराया।

उन्होंने बताया कि मन्नू यादव ने अपने घर के पूजा स्थल पर रखी मूर्ति को तोड़ दिया था और इस्लाम धर्म के प्रति अति कट्टर हो गया था। उन्होंने बताया कि इन तीनों को हिरासत में लेकर लंबी पूछताछ की गई। राहुल और मन्नू यादव की भाषा समझने के लिए एटीएस ने इंटरप्रेटेटर की मदद ली।

कुमार ने बताया पूछताछ पर यह भी पता चला है कि धर्मांतरण के तार फिलीपींस के घोषित आतंकी बिलाल फिलिप से जुड़े हैं। बिलाल दोहा, कतर में इस्लामिक ऑनलाइन यूनिवर्सिटी चलाता है, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित किया जा चुका है। बिलाल को 2014 में गिरफ्तार भी किया जा चुका है। उमर के बिलाल से भी संबंध प्रकाश में आए हैं।

उन्होंने बताया कि इस्लामिक दावा सेंटर के खातों में जनवरी 2010 से 14 जून 2021 के बीच एक करोड़ 82 लाख 83 हजार 910 रुपए जमा किए गए। इसमें काफी पैसे कैश में जमा किए गए। उन्होंने बताया कि विदेशों से इन लोगों के खाते में चेक से भी पैसे आए और खाड़ी देशों कतर, रियाद, अबूधाबी और दुबई से लगभग 50 लाख रुपए जमा किए गए।

उन्होंने बताया कि उमर गौतम फातिमा चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम से संस्था बनाकर उसमें फंड मंगवाता था। इस ट्रस्ट का न तो कोई रजिस्ट्रेशन कराया गया है और न ही कभी आयकर रिटर्न दाखिल किया गया है। उसके परिवार के कई सदस्यों के खातों में भी विदेशों से पैसे आए हैं। उन्होंने बताया कि खाते में नकद लेनदेन में हवाला से भी तार जुड़े होने की जानकारी मिली है। इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसियों की भी मदद जी जा रही है।
कुमार ने बताया कि यह बड़ा मामला है और एटीएस प्रदेश के 32 जिलों में छानबीन कर रही है। इसमें 27 जिलों के पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर संबंधित जिले के लिए मिली जानकारी को सत्यापित कराया जा रहा है, जबकि कुछ जिलों में एटीएस खुद छानबीन कर रही है। जिन जिलों में एटीएस और पुलिस छानबीन कर रही है उसमें अलीगढ, आजमगढ़, आगरा, वाराणसी, कानपुर, बिजनौर, मेरठ, सहारनपुर, नोएडा, गाजियाबाद और बुलंदशहर जैसे बड़े जिले शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि एटीएस द्वारा रिमांड पर लिए गए उमर गौतम असम के मरकज-उल-मारिफ नाम की संस्था के साथ काम कर चुका है। यह संगठन बांग्लादेशी और और अन्य नागरिकों के लिए काम करता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 में उमर दिल्ली आ गया था और वहां उसने इस्लामिक दावा सेंटर नाम की संस्था खोल ली।
असम की संस्था के खातों से भी उमर की संस्था के खातों में पैसों का लेनदेन हुआ है। मरकज-उल-मारिफ नाम की संस्था के खिलाफ 2020 में दिसपुर और फेमा और फेरा में मुकदमे दर्ज किए गए हैं। गौरतलब है कि राज्य सरकार धर्मांतरण को लेकर गंभीर है। आरोपियों पर रासुका लगाने के साथ उनकी संपत्ति जब्त करने पर भी विचार कर रही है।(वार्ता)
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