शिवसेना ने कहा- भारत लौटते ही गिरफ्तार करें जाकिर नाइक को
मुंबई। शिवसेना ने सोमवार को मांग की कि विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक को सऊदी अरब से भारत लौटते ही गिरफ्तार किया जाए और उसके 'पीस टीवी' नेटवर्क को बंद दिया जाए। राजग के सहयोगी दल को यह भी लगता है कि जाकिर नाइक का सामाजिक कार्य जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर की गतिविधियों की तरह है।
मुंबई में रहने वाले नाइक के सोमवार दोपहर तक शहर में वापस लौटने का अनुमान है। इन खबरों के सामने आने के बाद लोगों में उनके प्रति नाराजगी है कि बांग्लादेश की राजधानी ढाका में पिछले दिनों एक रेस्तरां में भयावह आतंकी हमले को अंजाम देने वाले कुछ उग्रवादी नाइक के कथित भड़काऊ भाषणों से प्रेरित थे। नाइक ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को हालांकि खारिज कर दिया है।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में एक संपादकीय में कहा है जिस तरह पाकिस्तान में रह रहे अजहर मसूद जैसे उन्मादी खुलेआम जहर उगलते है, उसी तरह जाकिर नाइक जैसे लोग शांति के नाम पर अपने सामाजिक कार्य की आड़ में अपने इरादों को अंजाम देते हैं।
नाइक पिछले कई साल से राष्ट्र विरोधियों को संरक्षण देते रहे हैं तथा ढाका में नरसंहार के बाद उनके द्वारा दिए जा रहे शांति के उपदेशों की असलियत उजागर हो गई है।
नाइक को अपनी गतिविधियां जारी रखने की अनुमति देने के लिए महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए शिवसेना ने संपादकीय में कहा है कि नाइक को उसी कोठरी में रखा जाना चाहिए, जहां पहले मुंबई हमले के दोषी अजमल कसाब को रखा गया था। शिवसेना ने संपादकीय में कहा कि पीस टीवी वास्तव में प्रचारक टीवी है।
केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार और महाराष्ट्र की देवेन्द्र फडणवीस सरकार को साहस दिखाना चाहिए और इस चैनल की समस्त मशीनरी को नष्ट कर देना चाहिए।
पार्टी ने मांग की है सरकार जब चाहेगी, कालाधन वापस ला सकती है, लेकिन अभी सरकार को चाहिए कि वह नाइक के वित्तीय स्रोतों को तत्काल नष्ट करे, क्योंकि वह जो खेल खेल रहा है, वह हमारे देश को नष्ट कर देगा। जैसे ही वह देश लौटे, उसे तत्काल गिरफ्तार किया जाए।
गौरतलब है कि बांग्लादेश सरकार ने रविवार को नाइक के भाषणों के प्रसारक पीस टीवी पर प्रतिबंध लगा दिया। ये खबरें आई थीं कि ढाका में एक रेस्तरां पर 1 जुलाई को किए गए हमले को अंजाम देने वाले कुछ बांग्लादेशी उग्रवादी नाइक के ही भड़काऊ भाषणों से प्रेरित थे। इस हमले में 22 लोगों की जान गई थी। मृतकों में अधिकतर विदेशी नागरिक थे। (भाषा)