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Last Modified: सोमवार, 16 मई 2022 (19:03 IST)

केरल में क्यों राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं केजरीवाल, क्या कारगर होगा दिल्ली-पंजाब मॉडल और गठबंधन का फॉर्मूला

केरल में क्यों राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं केजरीवाल, क्या कारगर होगा दिल्ली-पंजाब मॉडल और गठबंधन का फॉर्मूला - Aam Aadmi Party's entry in Kerala, political alliance announced
-वेबदुनिया मलयालम
पहले दिल्ली फिर पंजाब विधानसभा चुनाव में मिली 'बड़ी जीत' के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्‍यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और आप कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास 'सातवें आसमान' पर है। हाल ही में हिमाचल प्रदेश और गुजरात में राजनीतिक जमीन टटोलने के बाद अब आम आदमी पार्टी ने वाममंथी 'गढ़' केरल की ओर रुख कर लिया है। केरल यात्रा से केजरीवाल ने संकेत दे दिए हैं कि वे अब दक्षिण में भी दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हैं और इसकी शुरुआत वे केरल से कर रहे हैं। 
 
दरअसल, दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस की सत्ता उखाड़ने वाले केजरीवाल अब खुद को कांग्रेस के विकल्प के रूप में पेश कर रहे हैं। हालांकि केरल में कांग्रेस इस समय विपक्ष में है और वहां पर वामपंथी गठबंधन की सरकार है। इसी कड़ी में अरविंद केजरीवाल ने केरल में राजनीतिक पैठ बढ़ाने की योजना के तहत रविवार को यहां एक व्यापारिक समूह द्वारा संचालित राजनीतिक दल ‘ट्वेंटी-20’ के साथ अपनी पार्टी के राजनीतिक गठजोड़ की घोषणा की है। इस गठबंधन को 'जन कल्याण गठबंधन' (PWA) का नाम दिया है।
 
उन्होंने राज्य में मुख्यधारा के राजनीतिक दलों पर आरोप लगाया कि वे युवाओं को रोजगार प्रदान करने में रुचि नहीं रखते हैं। केजरीवाल ने कहा कि यहां राजनीतिक दल इस राज्य के बच्चों को नौकरी नहीं देंगे, क्योंकि वे ऐसे लोग चाहते हैं जो दंगा कर सकें और गुंडागर्दी फैला सकें। हम सभ्य लोग हैं, हम इनमें से कुछ भी करना नहीं जानते हैं। सीएम केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में 12 लाख लोगों को रोजगार दिया है।
हालांकि केरल में विधानसभा चुनाव अभी दूर है। अप्रैल-मई 2021 में 140 विधानसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में यहां वामपंथी गठजोड़ एलडीएफ ने 97 सीटें हासिल कर सरकार बनाई थी, जबकि कांग्रेस नीत यूडीएफ 41 सीटों पर सिमट गई थी। हालांकि वामपंथी गठबंधन को टक्कर देना आसान नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि यहां लोग वर्तमान सरकार से नाराज हैं। महंगाई और रोजगार जैसी समस्याएं यहां बरकरार हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि यहां के लोग 'थर्ड ऑप्शन' पर जा सकते हैं और यह ऑप्शन केजरीवाल की आम आदमी पार्टी हो सकती है। खास बात यह है कि यहां भाजपा का भी कोई वजूद नहीं है।
 
कुछ जानकार यह भी मानते हैं कि अब केजरीवाल राज्यों तक सीमित नहीं रहने वाले हैं। उनकी नजर 'दिल्ली की कुर्सी' पर आकर टिक गई है। हालांकि वे 2024 के लोकसभा चुनाव में कोई दांव नहीं खेलेंगे, लेकिन 2029 के लोकसभा चुनाव में वे पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। केजरीवाल अपनी योजना में कितने कामयाब होंगे, यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा, लेकिन उनका केरल दौरा कांग्रेस के लिए नींद उड़ाने वाला जरूर साबित होगा।