कॉमेडियन से आप के CM फेस तक, भगवंत मान से जुड़े 5 विवाद
चंडीगढ़। अपनी कॉमेडी से लोकप्रियता हासिल करने वाले सांसद भगवंत सिंह मान को आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में अपना मुख्यमंत्री फेस घोषित कर दिया है। आम आदमी पार्टी के टिकट पर संगरूर से 2 बार सांसद बने मान का विवादों से भी गहरा नाता रहा है। आइए जानते हैं मान से जुड़े विवाद...
1. शराब पीकर संसद पहुंचे : दिसंबर 2019 में मान पर लोकसभा में शराब पीकर भाषण देने का आरोप लगा था। उस समय भाजपा ने आरोप लगाया था कि दिल्ली में अनियमित कॉलोनियों को नियमित करने के विधेयक पर चर्चा के दौरान मान ने शराब के नशे में भाषण दिया था। उस समय कई वीडियो क्लिप भी वायरल हुए थे। जुलाई 2016 में मान ने यह कहकर चौंका दिया था कि हर सांसद का रोजाना डोप टेस्ट होना चाहिए।
2. पत्नी से तलाक : मान उस समय भी विवाद में घिरे थे, जब 2011 में उन्होंने अपनी पत्नी से तलाक लिया था। तब उन्होंने फेसबुक के जरिए कहा था कि पंजाब की सेवा के लिए वह पत्नी को छोड़ रहे हैं। राजनीतिक फायदे के लिए व्यक्तिगत मुद्दे सोशल मीडिया में उछालने के लिए लोगों ने उनकी अच्छी खबर ली थी।
3. लालू को लपेटा : जुलाई 2014 में बजट पर चर्चा के दौरान मान ने कांग्रेस पर निशाना साधते समय बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के परिवार को ही लपेटे में ले लिया था। उन्होंने कहा था- दिल्ली में विकास की बात करने वाली कांग्रेस के विधायकों से ज्यादा तो लालू यादव के बच्चे हैं। उनके इस बयान पर लोकसभा में काफी हंगामा हुआ था।
4. शराब के कारण स्टेज से उतारा : अक्टूबर 2015 में भी शराब मान के लिए विवाद का कारण बन गई थी। दरअसल, मान पंजाब में गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूप की बेअदबी मामले में आयोजित शहीदी समारोह में शराब पीकर पहुंच गए थे। जब आयोजकों को इसकी खबर हुई तो काफी हंगामा हुआ। सिख जत्थेबंदियों के कार्यकर्ताओं ने मान को स्टेज से उतार दिया और बाद में उन्हें समारोह स्थल से ही बाहर जाने को मजूबर कर दिया गया।
5. संसद के सुरक्षा घेरे का वीडियो बनाया : जुलाई 2016 में भगवंत मान उस समय भी विवादों में घिर गए थे, जब उन्होंने संसद भवन में प्रवेश के वक्त विभिन्न सुरक्षा घेरों को पार करने का वीडियो बनाकर उसे सोशल साइटों पर अपलोड कर दिया। वीडियो में मान ने खुद ही कमेंट्री की थी। उनकी इस हरकत को संसद की सुरक्षा से खिलवाड़ बताया। उनके खिलाफ शिकायत भी की गई और उन्हें फैसला होने तक संसद से दूर रहने को कहा गया।