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Written By भाषा

14 वर्षीय लड़की ने यौन उत्पीड़न के आरोप को नकारा

14 वर्षीय लड़की ने यौन उत्पीड़न के आरोप को नकारा -
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नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने 14 वर्षीय एक लड़की का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी व्यक्ति को तब बरी कर दिया, जब नाबालिग लड़की अपने पिछले बयान से मुकर गई और कहा कि उसने एक एनजीओ के अधिकारी के कहने पर उसके खिलाफ आरोप लगाए थे।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रेणु भटनागर ने सुभाष को पॉक्सो अधिनियम की धारा 8 के तहत लड़की का यौन उत्पीड़न करने और आईपीसी की धारा 354 के तहत महिला का शील भंग करने के आरोप से बरी कर दिया।

अदालत ने कहा, ‘मुकरे हुए गवाह के बदले हुए बयान पर भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि उसका उसके पुराने बयान से कोई मेल नहीं है।’ अदालत ने इस बात पर भी गौर किया कि बच्ची और उसकी मां बयान से मुकरे, जिसकी वजह से अभियोजन पक्ष के शेष गवाह आरोपी का दोष साबित करने में मदद नहीं कर सके।

सुभाष को बरी करते हुए अदालत ने यह भी कहा कि लड़की ने अपनी जिरह के दौरान कहा था कि सुभाष ने न तो उसके साथ छेड़खानी की थी और न ही उसे धमकी दी थी।

अभियोजन पक्ष के अनुसार 4 मई 2013 की रात लड़की अपनी मां के साथ दक्षिण दिल्ली में अपने आवासीय शिविर के निकट शौच के लिए गई थी। उसी वक्त सुभाष ने लड़की को जबरन खींच लिया और उसे नजदीक के जंगल में ले गया।

अभियोजन पक्ष के अनुसार लड़की की मां ने अपनी बेटी के चीखने की आवाज सुनी और उसे बचाने के लिए दौड़ी। तब तक सुभाष घटनास्थल से भाग गया। अगले दिन सुभाष को पुलिस ने गिरफ्तार किया।

हालांकि, लड़की और उसकी मां ने जिरह के दौरान अपना बयान बदला और कहा कि वह उस व्यक्ति को नहीं देख सकीं, जिसने लड़की पर हमला किया था क्योंकि वहां अंधेरा था।

लड़की ने अदालत से कहा कि उसने थाने में एक एनजीओ के अधिकारी के कहने पर अपना पहला बयान दिया था।
अदालत ने इस बात पर भी गौर किया कि लड़की की मां ने गवाही दी थी कि वे आरोपी को नहीं देख सके क्योंकि जहां घटना हुई वहां घना अंधेरा था। (भाषा)