एक तरफ तो हम रिश्तों की दुहाई देते हैं और दूसरी तरफ जब रिश्ते निभाने का सही समय आता है तब हम मैदान छोड़कर भाग जाते हैं। रिश्ते निभाने की यह परंपरा कहाँ तक उचित है? खास कर ऐसे समय में जब राखी का त्योहार हो। और बहनें अपने भाई की लंबी उम्र की कामनाएँ करने और दुआएँ माँगने की ख्वाहिश रखती हों।
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