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Last Modified: उदयपुर , गुरुवार, 22 नवंबर 2018 (18:00 IST)

उदयपुर संभाग की इन 18 सीटों पर कभी महिलाओं को टिकट नहीं मिला

उदयपुर संभाग की इन 18 सीटों पर कभी महिलाओं को टिकट नहीं मिला - Political parties didn't give chance to women on this 18 seats
उदयपुर। राजस्थान में आदिवासी बहुल उदयपुर संभाग की 18 विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने कभी महिला प्रत्याशियों को टिकट नहीं दिया जबकि 12 सीटों पर महिला उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने का अवसर मिला।
 
अंचल के उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़ एवं राजसमंद जिलों में महिला मतदाताओं की औसत संख्या 47 प्रतिशत है, लेकिन दोनों प्रमुख राष्ट्रीय दलों ने संभाग की 28 में से मात्र 4 सीटों पर महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया है। इनमें से 3 गिरिजा व्यास (उदयपुर), कांता भील (गढ़ी-बांसवाड़ा) तथा मंजूलादेवी रोत (चौरासी-डूंगरपुर) कांग्रेस की तथा भाजपा की एकमात्र महिला प्रत्याशी किरण माहेश्वरी (राजसमंद) हैं।
 
उदयपुर जिले की खेरवाड़ा, झाडोल, गोगुन्दा, वल्लभनगर, मावली, सराड़ा, बांसवाड़ा जिले की बांसवाड़ा, कुशलगढ़, घाटोल, बागीदौरा, प्रतापगढ़ जिले की प्रतापगढ़,धरियावद, चित्तौड़गढ़ जिले की कपासन, बेगूं, गंगरार एवं राजसमंद जिले में भीम, कुंभलगढ़ और नाथद्वारा ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां पर दोनों प्रमुख दलों ने महिला प्रत्याशियों को कभी चुनाव लड़ने का अवसर नहीं दिया।
 
इसके विपरीत उदयपुर शहर सीट से 1985 में कांग्रेस ने डॉ. गिरिजा व्यास को टिकट दिया था और वे चुनाव जीती थीं। उदयपुर ग्रामीण विधानसभा सीट से वर्ष 2003 में भाजपा की वंदना मीणा विजयी हुईं तथा वर्ष 2008 में वे चुनाव हार गई थीं। इसी सीट से 2008 में कांग्रेस ने सज्जनदेवी कटारा को टिकट दिया था। कटारा चुनाव जीत गई थीं लेकिन वर्ष 2013 में वे हार गई थीं।
 
इसी प्रकार बांसवाड़ा जिले की गढ़ी विधानसभा सीट से कांग्रेस की कांता गरासिया 2008 का चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचीं जबकि 2013 में वे चुनाव हार गई थीं। डूंगरपुर जिले की आसरपुर विधानसभा सीट से भाजपा की प्रत्याशी प्रकृति खराड़ी को 2008 में टिकट दिया गया था लेकिन वे चुनाव हार गई थीं। सागवाड़ा सीट से पूर्व मंत्री भीखाभाई की पुत्री कमला भील को कांग्रेस पार्टी ने 1980, 1985 एवं 1990 में टिकट दिया। वे तीनों बार निर्वाचित हुईं लेकिन 1993 में हार गई थीं।
 
चित्तौड़गढ़ सीट से कांग्रेस की निर्मला कुमारी को 1977 में टिकट दिया गया था और वे चुनाव हार गई थीं। इसके 16 वर्ष 1993 में उन्हें फिर से वहीं से टिकट दिया गया लेकिन दूसरी बार भी उनकी हार हो गई थी। बड़ी सादड़ी सीट से भाजपा ने 2003 में भगवतीदेवी झाला को टिकट दिया था लेकिन वे चुनाव हार गई थीं।
 
निम्बाहेड़ा सीट से 1985 में कांग्रेस ने मधु दाधीच को टिकट दिया था लेकिन वे चुनाव हार गई थीं। राजसमंद जिले में राजसमंद सीट से वर्ष 2008 एवं 2013 में भाजपा ने किरण माहेश्वरी को टिकट दिया और वे दोनों बार विजयी हुईं।
 
वर्ष 2018 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने उदयपुर शहर से डॉ. गिरिजा व्यास, बांसवाड़ा के गढ़ी विधानसभा सीट से कांता भील तथा डूंगरपुर के चौरासी सीट से मंजूला रोत को प्रत्याशी बनाया है, वहीं भाजपा ने महिला प्रत्याशी के रूप में एकमात्र राजसमंद सीट से उच्च शिक्षामंत्री किरण माहेश्वरी को लगातार तीसरी बार उम्मीदवार बनाकर विधानसभा में जाने का मौका दिया है। (वार्ता)