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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 11 जनवरी 2025 (12:58 IST)

Mahakumbh 2025: प्रयाग कुंभ के 12 रोचक तथ्य और महिमा जानकर चौंक जाएंगे

प्रयागराज कुंभ मेले के रोचक तथ्य, महिमा, स्नान तिथि, इसका ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को जानिए विस्तार से

Mahakumbh 2025: प्रयाग कुंभ के 12 रोचक तथ्य और महिमा जानकर चौंक जाएंगे - prayag kumbh: fascinating facts and glory
Prayag Kumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक रहेगा। इस दौरान मुख्य रूप से 6 स्नान होंगे। कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। इसमें करोड़ों श्रद्धालु, संत, साधु, और विदेशी पर्यटक हिस्सा लेते हैं। प्रशासन को मेले के दौरान विशाल अस्थायी शहर बनाना पड़ता है, जिसमें रहने, खाने, और स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था होती है। कुंभ में स्नान, दान, कल्पवास करना और संत्संग करने का खास पुण्य माना गया है तो सीधे मोक्ष का मार्ग खोलता है।
 
1. विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला: प्रयाग कुंभ मेला को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में "दुनिया का सबसे बड़ा मानव-समूह" के रूप में दर्ज किया गया है। 2019 के कुंभ मेले में लगभग 24 करोड़ श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। इस बार 2025 में 40 करोड़ के आने का अनुमान है।प्रयागराज (पहले इलाहाबाद) में आयोजित कुंभ मेला भारत का एक महत्वपूर्ण और भव्य धार्मिक आयोजन है। इसे दुनिया के सबसे बड़े मानव-समूह के रूप में भी जाना जाता है। 
 
2. दुनिया का सबसे प्राचीन मेला: कुंभ मेला का उल्लेख वेदों, महाभारत और पुराणों में मिलता है। इसे भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक माना जाता है। यह दुनिया का सबसे प्राचीन मेला या कहें कि उत्सव है जो हजारों सालों से मनाया जा रहा है।
 
3. नागा साधुओं का आकर्षण: इस मेले में नागा साधुओं को लेकर लोगों में जिज्ञासा, उत्सुकता और एक बड़ा आकर्षण रहता है। ये साधु किसी वस्त्र का उपयोग नहीं करते और शरीर पर भस्म लगाते हैं। नागा साधु गंगा स्नान करते हुए अपने शौर्य और तप का प्रदर्शन करते हैं।
 
4. चमत्कारी साधुओं का आकर्षण: कहते हैं कि यहां पर कई चमत्कारी बाबा भी देखे जा सकते हैं या मेले में कोई चमत्कारी या प्राचीन वस्तुएं भी नजर आ जाती है। कुंभ मेला विभिन्न अखाड़ों के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें नागा साधु, अग्नि अखाड़ा, और जूना अखाड़ा शामिल हैं। नागा साधु, जो अक्सर अपने शरीर पर भस्म लगाते हैं और कपड़े नहीं पहनते, मेले का आकर्षण होते हैं।
5. अखाड़ों की परंपरा: कुंभ मेले में विभिन्न अखाड़े (संतों के संगठन) शामिल होते हैं। इनमें जूना अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा, और अन्य शामिल हैं। यह अखाड़े शक्ति, तप और साधना के प्रतीक माने जाते हैं। इसकी सवारी, जुलूस और भव्य पांडाल लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र होते हैं। इनके कैंप में भंडारा चलता रहता है। श्राद्धालु यहां भोजन कर सकते हैं।
 
6. युनेस्को द्वारा मान्यता: 2017 में, कुंभ मेले को यूनेस्को की 'मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर' (Intangible Cultural Heritage of Humanity) में शामिल किया गया।
 
7. आध्यात्मिक अनुभव: कुंभ मेला केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि यह एक ऐसा अनुभव है जो आध्यात्मिकता, एकता और भारतीय संस्कृति की विविधता को दर्शाता है। यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं के लिए बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा को समझने के लिए भी महत्वपूर्ण है। खासकर यहां पर आकर लोग आध्यात्मिक अनुभव हासिल करते हैं इसके लिए कई श्रद्धालु यहां पर कल्पवास में रहकर योग और ध्यान करते हैं।
 
8. धार्मिक घटना और खगोलीय घटन से जुड़ा त्योहार: कुंभ मेला किसी ऋतु या मौसम से नहीं जुड़ा है यह एक धार्मिक और खगोलीय घटना से जुड़ा है। कुंभ मेले का आयोजन ग्रहों की विशेष स्थितियों पर आधारित होता है। जब सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति एक विशेष राशि में आते हैं, तब यह आयोजन होता है। इसी के साथ ही पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं और असुरों के समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश से चार स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरीं- प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। यही कारण है कि इन चार स्थानों पर कुंभ का आयोजन होता है।
 
9. तीन नदियों का संगम: प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम है। इसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है, जो कुंभ के दौरान पवित्र स्नान का केंद्र बनता है। संगम में स्नान करने से मोक्ष और पापों से मुक्ति मिलने की मान्यता है।
10. मुख्य स्नान के दिन: कुंभ मेले में मकर संक्रांति, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा, और महाशिवरात्रि जैसे पर्वों पर स्नान का विशेष महत्व है। इन दिनों को "शाही स्नान" के रूप में मनाया जाता है, जिसमें सभी अखाड़ों के संत स्नान करते हैं।
 
11. संस्कृति और परंपराएं: कुंभ मेले के दौरान धार्मिक सभाएं, प्रवचन, यज्ञ, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। मेले में भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य और कला का प्रदर्शन किया जाता है।
 
12. आधुनिक प्रबंधन: आज के कुंभ मेले में तकनीक का भरपूर उपयोग होता है। सुरक्षा के लिए ड्रोन, सीसीटीवी कैमरे और डिजिटल मैपिंग का उपयोग किया जाता है। श्रद्धालुओं को सुविधा देने के लिए मोबाइल ऐप और हेल्पलाइन भी उपलब्ध  होते हैं।