मंगलवार, 19 नवंबर 2024
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कपालभाति योग कितना कारगर है कोरोना काल में, कैसे कर सकते हैं इसे

Kapalbhati Yoga | कपालभाति योग कितना कारगर है कोरोना काल में, कैसे कर सकते हैं इसे
कोरोना वायरस की महामारी के काल में प्राणायाम का महत्व बढ़ गया है। खासकर अनुलोम विलोम, भस्त्रिका, उद्गीथ, भ्राममी, उज्जायी और कपालभाति करने का प्रचलन बढ़ा है। कपालभाति प्राणायाम को हठयोग के षट्कर्म क्रियाओं के अंतर्गत लिया गया है। ये क्रियाएं हैं:- 1. त्राटक 2. नेती. 3. कपालभाति 4. धौती 5. बस्ती और 6. नौली। आसनों में सूर्य नमस्कार, प्राणायामों में कपालभाति और ध्यान में विपश्यना का महत्वपूर्ण स्थान है। लेकिन कपालभाति प्राणायम को डायरेक्ट नहीं करते हैं। पहले अनुलोम विलोम का अभ्यास होने के बाद ही इसे करते हैं। आओ जानते हैं कि यह कोरोना काल में कितनी कारगर है और इसे कैसे करते हैं।
 
 
कितना कारगर है यह?
मस्तिष्क के अग्र भाग को कपाल कहते हैं और भाती का अर्थ ज्योति होता है। प्राणायामों में यह सबसे कारगर प्राणायाम माना जाता है। यह तेजी से की जाने वाली रेचक प्रक्रिया है। इससे जहां मस्तिष्क में ऑक्सिजन लेवल बढ़ जाता है वहीं यह फेंफड़ों को मजबूत बनाकर कब्ज, गैस, एसिडिटी की समस्या से भी मुक्ति दिलाता है।
 
यह प्राणायाम आपके चेहरे की झुर्रियाँ और आंखों के नीचे का कालापन हटाकर चेहरे की चमक बढ़ाता है। दांतों और बालों के सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं। शरीर की चरबी कम होती है। शरीर और मन के सभी प्रकार के नकारात्मक तत्व और विचार मिट जाते हैं।
 
 
कैसे करें यह प्राणायाम?
सबसे पहले तो आप अनुलोम विलोम का अभ्यास करें। इसका अभ्यास हो जाने के बाद आप सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठकर सांसों को बाहर छोड़ने की क्रिया करें। सांसों को बाहर छोड़ने या फेंकते समय पेट को अंदर की ओर धक्का देना है। ध्यान रखें कि श्वास लेना नहीं है क्योंकि उक्त क्रिया में श्वास स्वत: ही अंदर चली जाती है।
 
अवधि : कम से कम 1 मिनट से प्रारंभ करके इसे बढ़ाते हुए 5 मिनट तक ले जाएं। 
 
सावधानी : किसी भी प्रकार से फेंफड़ों और मस्तिष्क में कोई गंभीर समस्या हो तो यह प्राणायाम डॉक्टर की सलाह पर ही करें। प्रारंभ में इस प्राणायाम को करने से चक्कर जैसा होता है और आंखों के सामने अंधेरा छाता है, क्योंकि इस प्राणायाम से मस्तिष्‍क में रक्त संचार एकदम से बढ़ जाता है। अत: पहले अनुलोम विलोम, कुंभक और रेचक का अभ्यास करने के बाद ही यह प्राणायाम करें। शुद्ध वायु में ही यह प्राणायाम करें, जैसे छत पर या खुली जगह पर।
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