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Written By WD Sports Desk
Last Modified: मंगलवार, 23 जुलाई 2024 (13:16 IST)

ओलंपिक में भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों के पीछे माता पिता के अथक प्रयास

Satvik Chirag
6 साल पहले क्लिफोर्ड क्रास्टो ने जब अपनी बेटी तनीषा को उसके 15वें जन्मदिन पर हैदराबाद की पुलेला गोपीचंद अकादमी में भेजा था तो इसी उम्मीद पर कि दुबई में अपने घर से दूर रहकर भी वह बैडमिंटन में नाम कमाने के अपने सपने पूरे कर सकेगी।

दुबई में जन्मी तनीषा के लिये सब कुछ नया था लेकिन उसने खुद को हालात में ढाला और अब पेरिस ओलंपिक में अश्विनी पोनप्पा के साथ महिला युगल में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी।

ओलंपियन बनाने का कोई नुस्खा नहीं होता लेकिन इसके पीछे बलिदानों और जज्बातों से भरी कहानियां जरूर होती है । बच्चों को जिंदगी में या खेलों में आगे बढते देखने के लिये कई बार कड़े फैसले लेने होते हैं।

गोवा में जन्मे क्लिफोर्ड ने PTI(भाषा) से फोन पर कहा ,‘‘ मैं उसके जन्मदिन पर उसे भारत लेकर आया था। यह काफी साहसिक और जज्बाती फैसला था कि उसे एक अलग देश में अकेले छोड़ना है।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ वह दुबई में जन्मी और पली बढी। हम दोनों के लिये यह कठिन था लेकिन हमें पता था कि उसने सही रास्ता चुना है और हमने उसका साथ दिया। हम इस फैसले से खुश हैं और उसकी तरक्की से भी।’’

तनीषा बहरीन के लिये भी खेली और 2016 बहरीन इंटरनेशनल चैलेंज में महिला युगल खिताब विजेता रही। उसने 14 वर्ष की उम्र में यूएई ओपन एकल खिताब जीता। इसके बाद उसने भारत में खेलने का फैसला लिया और 2017 से गोवा के लिये खेल रही है।

दुबई में 18 साल से इंटेल ड्रिस्ट्रिब्यूटर्स के लिये काम करने वाले क्लिफोर्ड को टूर्नामेंटों में तनीषा के साथ जाने के लिये अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी।वह और उनका परिवार पेरिस का टिकट कटा चुका है और तनीषा की हौसलाअफजाई के लिये पहुंचेगा।

पुरूष युगल में सात्विक साइराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी भारतीय चुनौती पेश करेंगे। सात्विक के पिता काशी विश्वनाथम ने पेरिस रवानगी से पहले हैदराबाद में उनके अभ्यास केंद्र पर घर जैसा माहौल बनाया।

उन्होंने कहा ,‘‘ एशियाई खेलों और विश्व चैम्पियनशिप जैसे बड़े टूर्नामेंटों से पहले भी हम कुछ दिन हैदराबाद में उसके साथ रहने की कोशिश करते हैं। उसकी मां ने काम से ब्रेक लिया है और हम तीन सप्ताह से हैदराबाद में हैं।’’

सात्विक के माता पिता तो पेरिस नहीं जायेंगे लेकिन बड़ा भाई रामचरण वहां पहुंचेगा।राष्ट्रीय मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद ने हैदराबाद में नानी प्रसाद स्मृति अंडर 15 टूर्नामेंट में सात्विक की प्रतिभा देखी। विश्वनाथम ने कहा ,‘‘ गोपीचंद ने मुझे कहा कि उन्हें भारत की टीम चैम्पियनशिप के लिये पुरूष युगल खिलाड़ी चाहिये। पहले कुछ साल आर्थिक रूप से मेरे लिये कठिन था लेकिन मेरे परिवार और दोस्तों ने मदद की। फिर 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में अच्छे प्रदर्शन के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा।’’

सात्विक और चिराग ने 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में पुरूष युगल रजत पदक जीता था। दोनों ने 2022 बर्मिघम राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता। तोक्यो ओलंपिक में तीन में से दो ग्रुप मैच जीतने के बावजूद वे नॉकआउट में जगह नहीं बना सके।

लक्ष्य सेन के पिता डी के सेन ने सह कोच रहते करीब से उनका प्रदर्शन देखा है। लक्ष्य और उनके भाई चिराग दोनों अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं और SAI के अलमोड़ा केंद्र में शुरूआत में अपने पिता से सीखा है। इसके बाद वे बेंगलुरू में प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी में गए।