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Last Modified: गुरुवार, 8 सितम्बर 2022 (12:19 IST)

क्यों और कैसे मनाते हैं ओणम का त्योहार?

क्यों और कैसे मनाते हैं ओणम का त्योहार? - Why and how is the festival of Onam celebrated
8 सितंबर 2022 को ओणम का पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व दक्षिण भारत में खास महत्व रखता है। यह त्योहार भाद्र माह की शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है। जबकि मलयालम कैलेंडर के अनुसार चिंगम माह में यह त्योहार मनाया जाता है जो कि प्रथम माह है। आओ जानते हैं कि किस तरह यह त्योहार मनाया जाता है।
 
क्यों मनाते हैं ओणम का त्योहार- Why celebrate the festival of Onam?
यह त्योहार किसी देवी-देवता के सम्मान में नहीं बल्की एक दानवीर असुर के सम्मान में मनाया जाता है जिसने विष्णु के अवतार भगवान वामन को तीन पग भूमि दान में दे दी थी और फिर श्री वामन ने उन्हें अमरता का वरदान देकर पाताल लोक का राजा बना दिया था। ऐसी मान्यता है कि अजर-अमर राजा बलि ओणम के दिन अपनी प्रजा को देखने आते हैं। राजा बलि की राजधानी महाबलीपुरम थी। लोग इस त्योहार को फसल और उपज के लिए भी मनाते हैं।
 
कैसे मनाते हैं ओणम का त्योहार- How is the festival of Onam celebrated?
 
1. यह पर्व 10 दिन तक चलता है। खासकर केरल में 10 दिन तक इस उत्सव की धूम रहती है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार, भगवान गणेश की और श्रावण देवता की पूजा होती है।
 
2. जिस तरह दशहरे में दस दिन पहले रामलीलाओं का आयोजन होता है या दीपावली के पहले घर की रंगाई-पुताई के साथ फूलों से सजावट होती रही है। उसी तरह ओणम के प्रारंभ होने से पूर्व घर की साफ सफाई की जाती है।
 
3. ओणम से दस दिन पहले घरों को फूलों से सजाने का कार्य चलता रहता है। घर को अच्छे से सजाकर बाहर रंगोली बनाते हैं। खासकर घर में कमरे को साफ करके एक फूल-गृह बनाया जाता है जिसमें गोलाकार रुप में फूल सजाए जाते हैं। प्रतिदिन 8 दिन तक सजावट का यह कार्यक्रम चलता है।
 
4. इस दौरान राजा बलि की मिट्टी की बनी त्रिकोणात्मक मूर्ति पर अलग-अलग फूलों से चित्र बनाते हैं। प्रथम दिन फूलों से जितने गोलाकार वृत बनाई जाती हैं दसवें दिन तक उसके दसवें गुने तक गोलाकार में फूलों के वृत रचे जाते हैं।
 
5. नौवें दिन हर घर में भगवान विष्णु की मूर्ति की पूजा होती है तथा परिवार की महिलाएं इसके इर्द-गिर्द नाचती हुई तालियां बजाती हैं। वामन अवतार के गीत गाते हैं।
6. रात को गणेशजी और श्रावण देवता की मूर्ति की पूजा होती है। मूर्तियों के सामने मंगलदीप जलाए जाते हैं। पूजा-अर्चना के बाद मूर्ति विसर्जन किया जाता है।
 
7. इस दौरान पापड़ और केले के चिप्स बनाए जाते हैं। इसके अलावा 'पचड़ी–पचड़ी काल्लम, ओल्लम, दाव, घी, सांभर' भी बनाया जाता है। दूध, नारियल मिलाकर खास तरह की खीर बनाते हैं।
 
8 कहते हैं कि केरल में अठारह प्रकार के दुग्ध पकवान बनते हैं।
 
9. कई प्रकार की दालें जैसे मूंग व चना के आटे का प्रयोग भी विभिन्न व्यंजनों में किया जाता है। भोजन को कदली के पत्तों में परोसा जाता है।
 
10. ओणम के अंतिम दिन थिरुवोनम होता है। यह मुख्य त्योहार है। इस दिन उत्सव का माहौल होता है।
 
11. इस पर्व के दौरान एक पारंपरिक भोज का आयोजन भी किया जाता है। इस सामूहिक भोज में मीठे व्यंजनों के अलावा नौ स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं जिनमें पचड़ी काल्लम, ओल्लम, दाव, घी, सांभर, केले और पापड़ के चिप्स  मुख्य रूप से बनाए जाते हैं।
 
12. इस दौरान सभी लोग अपने रिश्तेदारों, परिवार वालों, दोस्तों और परिचितों को इस पर्व की शुभकामनाएं देते हैं। 
 
13. ओणम दक्षिण भारत के सबसे रंगारंग त्योहारों में से एक है। इस दिन केरल सरकार इसे पर्यटक त्योहार के रूप में भी मनाती है।
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