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Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 22 अक्टूबर 2024 (11:35 IST)

Ahoi Ashtami 2024: अहोई अष्टमी कब है, क्यों रखती है इस दिन महिलाएं व्रत, क्या है महत्व?

Ahoi Ashtami 2024:
Ahoi Ashtami Festival 2024: 24 अक्टूबर 2024 गुरुवार को अहोई अष्टमी का व्रत रखकर पर्व मनाया जाएगा। इसी दिन पुष्य नक्षत्र का महायोग भी है। इसी दिन अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। इस दिन व्रत रखने का खास महत्व है। अहोई का अर्थ अनहोनी को होनी बनाना और किसी अप्रिय अनहोनी से बचाना भी होता है। अहोई अष्टमी व्रत के दिन माताएं अपने बच्चों की भलाई के लिए उपवास रखती हैं। यह व्रत करवा चौथ के समान ही दिनभर उपवास रखकर किया जाता है, तथा रात में तारों को देखने के पश्चात ही व्रत खोला जाता है।
24 अक्टूबर 2024 बृहस्पतिवार को अहोई अष्टमी का शुभ मुहूर्त:-
अभिजीत मुहूर्त: 11:43 से दोपहर 12:28 के बीच।
लाभ का चौघड़िया: दोपहर 12:05 से दोपहर 01:29 के बीच।
शुभ का चौघड़िया: अपराह्न 04:18 से शाम 05:42 के बीच।
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त- शाम 05:42 से 06:59 के बीच।
तारों को देखने के लिये सांझ का समय- शाम 06:06 बजे।
अहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय समय- दिल्टी टाइम अनुसार रात्रि 11:55 बजे।
 
क्यों रखती है महिलाएं अहोई अष्टमी का व्रत?
अहोई अष्टमी व्रत के दिन माताएं अपने बच्चों की भलाई के लिए उपवास रखती हैं। अहोई का अर्थ अनहोनी को होनी बनाना और किसी अप्रिय अनहोनी से बचाना भी होता है। आपको बता दें कि अहोई अष्टमी के दिन रात में चंद्रोदय बहुत देर से होता है। मान्यतानुसार कुछ स्थानों पर सायंकाल के समय आकाश में तारों को देखने के बाद यह व्रत खोला जाता है, तथा कुछ महिलाएं चंद्रमा दर्शन के पश्चात ही व्रत को खोलती है। इस बार यह व्रत 24 अक्टूबर 2024 गुरुवार को पड़ रहा है। अहोई अष्टमी व्रत उत्तर भारत में ज्यादा प्रसिद्ध है। 
Ahoi Ashtami
अहोई अष्टमी को क्या करें?
1. भगवान गणेश प्रथम पूजनीय है, अत: अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता से पहले श्री गणेश की पूजा करना ना भूलें।
2. अहोई अष्टमी के दिन निर्जला रहें। ऐसा करने से संतान को लंबी आयु का वरदान तथा समृद्धि प्राप्त होती है। 
3. अहोई अष्टमी के दिन तारों को अर्घ्य देते हैं। तारों के निकलने के बाद ही अपने उपवास खोलें, तभी पानी या भोजन ग्रहण करें।
4. अहोई अष्टमी के दिन अपने सास-ससुर के लिए बयाना जरूर निकालें। अगर आपके सास-ससुर ना हों तो अपना बायना किसी पंडित या किसी बुजुर्ग को दें।
5. अहोई अष्टमी के दिन व्रत कथा सुनते समय 7 तरह के अनाज अपने हाथ में रखें। पूजा के बाद इस अनाज को किसी गाय को खिला दें।
6. अहोई अष्टमी के दिन पूजा करते समय अपने बच्चों को पास बिठाएं और अहोई माता को भोग लगाने के बाद वो प्रसाद उन्हें खिलाएं।
7. अहोई अष्टमी के दिन पूजन के बाद किसी ब्राह्मण या गाय को खाना जरूर खिलाएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। निर्धन व्यक्ति को दान अवश्य दें। 
8. अहोई अष्टमी के दिन मिट्टी को बिल्कुल भी हाथ न लगाएं और न ही इस दिन खुरपी से कोई पौधा भी उखाड़ें।