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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 21 अक्टूबर 2024 (17:00 IST)

गुरु पुष्य योग में क्यों की जाती है खरीदारी, जानें महत्व और खास बातें

दिवाली से पहले बन रहा गुरु पुष्य योग, जानें सबसे अच्छा क्यों है?

गुरु पुष्य योग में क्यों की जाती है खरीदारी, जानें महत्व और खास बातें - Guru Pushya Nakshatra 2024
Pushya Nakshatra 2024: धार्मिक मान्यता के अनुसार वैसे तो हर किसी शुभ कार्य के लिए अलग-अलग मुहूर्त होते हैं, लेकिन कुछ मुहूर्त हर कार्य के लिए विशेष होते हैं। इन्हीं में एक आता है, पुष्य नक्षत्र, जो कि 27 नक्षत्रों में 8वें क्रम पर आता है तथा इसके देवता बृहस्पति और स्वामी शनि हैं। यह नक्षत्र खरीददारी से लेकर अन्य कई शुभ कार्यों तक का महामुहूर्त माना जाता है तथा इसे ज्योतिष में विशेष मुहूर्त के रूप में स्थान प्राप्त है। 
 
Highlights 
  • 2024 में पुष्य नक्षत्र कब पड़ रहा है?
  • पुष्य नक्षत्र कब से कब तक है?
  • पुष्य नक्षत्र का देवता कौन है?
आपको बता दें कि वर्ष 2024 में दीपावली के पूर्व आने वाला गुरु-पुष्य नक्षत्र का बेहद शुभ संयोग इस बार 24 अक्टूबर, दिन गुरुवार को पड़ रहा है। तथा नक्षत्र यह 24 अक्टूबर को प्रात: 06:15 से शुरू होकर अगले दिन 25 अक्टूबर को प्रात: 07:40 बजे तक रहेगा। और इस दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि का योग शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में पुष्य नक्षत्र को बेहद ही शुभ दिन माना जाता है, जब यह नक्षत्र गुरुवार को पड़ता है तो इसे गुरु पुष्य नक्षत्र कहा जाता है। 
 
पुष्य नक्षत्र के बारे में विशेष काम की बातें :  
 
1. पुष्य नक्षत्र, जो दीपावली के पहले आने वाला होता है वो विशेष माना गया है, क्योंकि यह मुहूर्त खास तौर से खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है। दीपावली के त्योहार के समय लोग घर की साज-सज्जा की चीजें, सोना, चांदी एवं अन्य सामान की सबसे ज्यादा खरीदी करते हैं, जो पुष्य नक्षत्र आने से और भी शुभ फल देने वाली हो जाती है। 
 
2. पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा भी कहा जाता है। पुष्य का अर्थ पोषण, ऊर्जा व शक्ति प्रदान करने वाला होता है। इस नक्षत्र को सभी नक्षत्रों में सबसे अच्छा माना जाता है। ऋगवेद में पुष्य नक्षत्र को मंगलकर्ता भी कहा गया है। इसके अलावा यह समृद्धिदायक, शुभ फल प्रदान करने वाला नक्षत्र माना गया है। इसी कारण विद्वान इस नक्षत्र को बहुत शुभ और कल्याणकारी मानते हैं। अत: इस शुभ दिन नए कार्यों की शुरुआत करने का विशेष महत्व है। 
3. बृहस्पति देव पुष्य नक्षत्र के देवता माने गए हैं और शनि को इस नक्षत्र का दिशा प्रतिनिधि माना जाता है। चूंकि बृहस्पति शुभता, ज्ञान और बुद्धि‍मत्ता का प्रतीक कहे गए हैं और शनि स्थायि‍त्व के, इसलिए इन दोनों का योग मिल कर पुष्य नक्षत्र को शुभ और चिरस्थायी बना देते है।
 
4. स्वास्थ्य की दृष्ट‍ि से भी पुष्य नक्षत्र विशेष महत्व रखता है। यदि पुष्य नक्षत्र पर शुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो यह सेहत संबंधी कई समस्याओं को समाप्त करने में सक्षम होता है। शारीरिक कष्ट निवारण के लिए यह मुहूर्त शुभ होता है।
 
5. सोना/ स्वर्ण की खरीदी का पुष्य नक्षत्र में खास तौर से अधिक महत्व होता है। लोग इस दिन सोना इसलिए भी खरीदते हैं, क्योंकि सोने को शुद्ध, पवित्र और अक्षय धातु के रूप में माना जाता है, अत: पुष्य नक्षत्र पर इसकी खरीदी अत्यधिक शुभ होती है। इसी कारण इस समयावधि में गोल्ड, रजत, बहुमूल्य रत्न, सोने-चांदी के आभूषण आदि अवश्य खरीदने चाहिए, क्योंकि इस दिन जो कीमती वस्तुएं क्रय की जाती हैं, वो वर्षभर लाभकारी सिद्ध होती हैं। 
 
6. पुष्य नक्षत्र को खरीदारी के लिए विशेष मुहूर्त माना जाता है, इस संबंध में प्रचलित मान्यता के अनुसार यह नक्षत्र स्थायी या स्थिर माना जाता है। इस मुहूर्त में खरीदी गई कोई भी वस्तु अधिक समय तक उपयोगी और अक्षय फल देने वाली होती है। इसके अलावा इस मुहूर्त में खरीदी गई वस्तु हमेशा शुभ फल भी प्रदान करती है। अत: सभी नए सामान की खरीदारी तथा कीमती चीजें सोना, चांदी की खरीदारी के लिए पुष्य नक्षत्र को सबसे पवित्र माना जाता है।
 
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